साहित्य

ममता पंडित के प्रथम काव्य संग्रह “चाबियां उम्मीदों की” का जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में लोकार्पण

देवास। देवास की बेटी, लेखिका एवं पत्रकार ममता पंडित सुपुत्री कैलाश पंडित के प्रथम काव्य संग्रह का लोकार्पण विगत दिनों जयपुर लेट्रेचर फेस्टिवल में ख्यात साहित्यकार एवं लेखिका मृदुला गर्ग, सुधीर माथुर, इरा टाक, जोई मिश्रा, रोहित कृष्ण नंदन द्वारा किया गया।

इस अवसर पर मृदुला गर्ग ने ममता को उनके पहले काव्य संग्रह पर हार्दिक शुभकामनाएं दीं। देश की आधी आबादी की आकांक्षाओं, अपेक्षाओं और उम्मीदों को समर्पित इस पुस्तक पर चर्चा का विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में इरा टाक ने इस पुस्तक की लेखिका ममता पंडित से सार्थक संवाद किया। इरा टाक से बातचीत करते हुए ममता ने बताया कि उनकी रचनाएं मुख्यतः महिलाओं से जुड़े हुए मुद्दों की बात करती हैं। इतने कानून बन चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत नहीं बदली। ये कविताएं उसी बदलाव के लिए प्रेरित करती हैं। बरसों से हमारी सोच पर पड़े हुए तालों को खोलने की उम्मीद देती हैं। इस आयोजन में साहित्य प्रेमियों ने बड़ी संख्या में शिरकत की। “चाबियां उम्मीदों की” ममता पंडित का पहला काव्य संग्रह है जिसका मुख्य स्वर स्त्री चेतना है। काव्य संग्रह का पहला खंड है ‘खनक’। यह नाम इस खंड की मुख्य कविता ‘खनक’ की बात करता है। जहां आज भी इस देश में महिलाओं को ऊंची आवाज में बात करना हंसना वर्जित है, वहीं इस रचना के माध्यम से कवियत्री कहना चाहती हैं, इस हंसी की खनक हर कोने तक पहुंचनी चाहिए ।

संग्रह की एक और मुख्य रचना “ताले और चाबियां” इस ओर ध्यान आकर्षित करती है कि किस तरह चाबियां पकड़कर खुद को मालकिन समझने वाली स्त्री खुद ही कई तालों में कैद हो जाती है। ‘पलायन’ रचना यह सवाल उठाती है, कि अगर किसी दिन सिद्धार्थ की जगह यशोधरा सब कुछ छोड़कर चल देतीं तो क्या वह बुद्ध बन पातीं। काव्य संग्रह का दूसरा खंड ‘सबक’ बहुत सारे सामाजिक मुद्दों को उठाने वाली रचनाओं को अपने में समेटे हुए हैं। इसमें कोरोना काल में लिखी हुई कई रचनाएं हैं। एक ऐसा काल जिसमें जीवन की कड़वी सच्चाई का सामना करते हुए हम सब ने कई सबक सीखे है। ‘महक’ इस तीसरे खंड में इश्क के इत्र से भीगी हुई कविताएं हैं। एक ऐसी महक जो हम उम्र के एक दौर में शिद्दत से महसूस करते हैं और उम्र के किसी भी पड़ाव में वह खुशबू हमें फिर से महका जाती है। इसी खंड की अंतिम कुछ रचनाओं में आध्यत्मिकता की झलक भी देखने को मिलती है। कुल मिलाकर यह काव्य संग्रह जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूता है।

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