खेत-खलियान

मौसमी बदलाव ने किसानों की चिंता बढ़ाई

– बूंदाबांदी के बीच गेहूं की कटाई जोरो पर
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने वाली गेहूं फसल की कटाई जोरशोर से चल रही है और इधर मौसम ने करवट बदल ली। बादलों ने डेरा डाला हुआ है तो बीच-बीच में बूंदाबांदी भी हो रही है। मौसम के बदलाव ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। अगर तेज बारिश होती है तो फसल के खराब होने का अंदेशा है। एक साथ कई खेतों में फसल पकने से गेहूं की कटाई के लिए मजदूर भी नहीं मिल हैं, जो मजदूर काम करने को तैयार है तो उन्होंने अपनी मजदूरी बढ़ा दी है।
बादलों की लुकाछिपी एवं बूंदाबांदी के बीच किसान परिवार एवं मजदूर वर्ग खेतों में गेहूं काटकर एकत्रित कर रहे हैं। बीच-बीच में हो रही बूंदाबांदी ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। बारिश से कटे हुए गेहूं को सुरक्षित रखने में किसानों को परेशानी हो रही है। वैसे तो सालभर किसान खेतों में मेहनत करता है, लेकिन इन दिनों मौसम को देखते हुए किसानों का अधिकांश वक्त खेतों में गुजर रहा है। किसान जैसे-तैसे अपनी पकी हुई गेहूं फसल को सुरक्षित रखना चाहता है। जिन किसानों ने कटाई कर ली, वे जल्द से जल्द उसे मंडी में बेच रहे हैं। ऐसे में उन्हें उचित भाव भी नहीं मिल रहे हैं।
कटाई के लिए मजदूर 300 से 350 रुपए प्रतिदिन एवं 2 हजार से 2100 रुपए प्रति बीघा कटाई एकत्रित करने के लिए ले रहे हैं। क्षेत्र में बड़ी मुश्किल से गेहूं काटने के लिए मजदूर मिल रहे हैं। गांव से कई मजदूर बागली, नयापुरा छतरपुरा, चापड़ा आदि स्थानों पर गेहूं कटाई के लिए गए हैं। गेहूं निकालने वाली मशीन के लिए किसानों को 130 से 150 रुपए प्रति बोरा देना पड़ रहा है। इस बार गेहूं का उत्पादन प्रति बीघा 10 से 12 क्विंटल है, लेकिन मौसम के बिगड़े रूख ने चिंता बढ़ा दी है। अगर मौसम साफ रहा तो किसानों को आर्थिक ताकत मिलेगी। मजदूर परिवारों को भी आगामी रंग पंचमी त्योहारों को उत्साह से मनाने के लिए भरपूर मजदूरी मिल जाएगी।

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