देवास। जीवन में सद्गुरु संतों का होना बहुत जरूरी है। संतों के बिना, सद्गुरु के बिना हमारा जीवन अधूरा ही रहता है। संत ही हमें इस सांसारिक जगत से मुक्त होने का सहज मार्ग बताते हैं। संतों की सेवा, सहजता, उनकी वाणी-विचारों से ही सत्य का हमें अनुभव होता है। संतों की वह वाणी उनके अनुभव की वाणी होती है।
यह विचार सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने सदगुरु कबीर प्रार्थना स्थलीय मंगल मार्ग टेकरी पर आयोजित गुरुवाणी पाठ, गुरु-शिष्य चर्चा में व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि इधर सुनी उधर गप मारी, उधर सुनी इधर गप मारी। इससे लोग दिशाहीन हो रहे हैं, इसलिए हमें शब्द प्रदूषण से बचना चाहिए। सत्य का अनुसरण तो सहजता और संतों की सेवा से ही मालूम पड़ता है। शब्द प्रदूषण संसार में हो रहा है, अनर्गल की बातें अनर्गल की आवाज जैसे तेज आवाज में डीजे वगैरह बजाना, जिससे प्रकृति एवं मनुष्य को बहुत नुकसान हो रहा है। सांप-बिच्छू का जहर मंत्र को मानता है, लेकिन इंसान के ऊपर कोई असर नहीं हो रहा है। तेज आवाज में ध्वनि प्रदूषण से इंसान ही इंसान को परेशान कर रहा है। टाइम, बे टाइम चाहे जहां तेज आवाज में डीजे बजने लगते हैं। यह हमारे सहज जीवन में बहुत बाधक हैं।
उन्होंने कहा, कि हम डीजे बजाकर खुशी मनाते हैं, लेकिन जितने भी लोग हार्ट के मरीज हैं, उनके लिए यह घातक है। तेज आवाज अपनी धड़कन तक पहुंच जाती है और मालूम पड़ता है कि वह तो लटक ही गया। इसलिए हमें शब्द प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण से सावधान रहना है। सहजता का जीवन जीना है, जिससे हम भी सुखी रहे और बाकी लोग भी सुखी रहे। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।