– साक्षरता बढ़ाने में साहित्य की अहम भूमिका- डॉ. वानखेड़े
– मध्यप्रदेश में मातृभाषा में दी जा रही मेडिकल और इंजीनियरिंग शिक्षा
देवास। विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर पंढरपुर स्थित श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर के सभागृह में आयोजित द्वितीय अखिल भारतीय स्वास्थ्य साहित्य सम्मेलन एवं नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर में अमलतास विश्वविद्यालय, देवास के कुलपति डॉ. शरदचंद्र वानखेड़े को छत्रपति संभाजी नगर, महाराष्ट्र में जीवन गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कुलपति डॉ. वानखेड़े ने कहा कि साक्षरता दर में वृद्धि के साथ साहित्य का महत्व भी तेजी से बढ़ा है। साहित्यकारों को सरल और जनभाषा में लेखन करना चाहिए ताकि संदेश समाज के हर वर्ग तक पहुंचे। अब देश के सभी राज्यों में इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा मातृभाषा में दी जाएगी। मध्य प्रदेश में यह पहल तीन वर्ष पूर्व ही शुरू की जा चुकी है और छात्रों को मातृभाषा में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन सीएसएमएसएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (वालूज) की अधिष्ठाता डॉ. कानन येलीकर द्वारा किया गया। अध्यक्षीय भाषण में डॉ. वानखेड़े ने यह भी बताया कि कोविड-19 के शुरुआती समय में जब वैक्सीन को लेकर लोगों में भ्रम और भय था, तब भी मध्य प्रदेश ने साहसिक पहल करते हुए सबसे पहले टीकाकरण शुरू किया।
कार्यक्रम में उन्होंने बदनापुर निवासी डॉ. एके शेख के “कैंसर मुक्त अभियान” की सराहना करते हुए कहा कि बिना किसी सरकारी सहायता के अपने संसाधनों से गांव-गांव जाकर कैंसर जांच सेवाएं देना एक प्रेरणादायक कार्य है, जिसे अन्य लोगों को भी अपनाना चाहिए।
इस अवसर पर अमलतास विश्वविद्यालय के चेयरमैन मयंक राज सिंह भदौरिया द्वारा कुलपति श्री वानखेड़े को बधाई दी। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के रजिस्टार संजय रामबोले एवं सभी प्राचार्यगण उपस्थित थे।