– पक चुकी गेहूं, चने, लहसुन की फसल पर संकट के बादल
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। बादलों की लुका-छिपी के बीच खेतों में गेहूं की कटाई कर रहे किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही हैं। मार्च के महीने में मौसम अचानक करवट बदलने लगा है, जिससे किसानों को अपनी मेहनत पर पानी फिरने का डर सता रहा है। पिछले कुछ दिनों से कभी तेज धूप तो कभी बादलों की आवाजाही देखने को मिल रही है। ऐसे में अब बारिश की संभावना किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई है।
फसल तैयार, लेकिन मौसम बना मुसीबत-
बेहरी और आसपास के गांवों में गेहूं की फसल पूरी तरह पक चुकी है। किसानों ने कटाई शुरू कर दी है, लेकिन जिनकी फसल अभी खेत में खड़ी है, वे चिंता में हैं। क्षेत्र के किसान महेंद्र दांगी, भागीरथ पटेल, प्रहलाद गिर गोस्वामी, पूर्व सरपंच रामचंद्र दांगी, सूरजसिह पाटीदार, केदार पाटीदार ने बताया, कि सालभर मेहनत कर फसल तैयार की, अब अगर बारिश हो गई, तो सब बर्बाद हो जाएगा। पिछले साल भी बारिश से काफी नुकसान हुआ था। सरकार से मदद की उम्मीद तो रहती है, लेकिन सरकार ने मुआवजा की प्रक्रिया खत्म कर दी, बीमा करवाते हैं, लेकिन किसान को समय पर बीमा की राशि नहीं मिलती।
मौसम विभाग की चेतावनी से बढ़ी बेचैनी-
मौसम विभाग के अनुसार, अगले दो-तीन दिनों में हल्की बूंदाबांदी की संभावना है। इस पूर्वानुमान ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है। बुजुर्ग किसान नाथू सिंह सेठ, मूलचंद पाटीदार, करण सिंह चौधरी कहते हैं, कि हम तो बरसों से खेती कर रहे हैं, लेकिन अब मौसम का कोई भरोसा नहीं रहा। पहले बारिश और ठंड का सही समय होता था, अब कभी भी बारिश होती है, ओले गिर जाते हैं, कभी तेज आंधी आ जाती है। सरकार को चाहिए कि किसानों के लिए बेहतर सुरक्षा उपाय करें, ताकि फसलें सुरक्षित रहें।
गेहूं के दाम और उत्पादन पर असर-
इस बार क्षेत्र में गेहूं का उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद है, लेकिन मौसम की अनिश्चितता से उत्पादन पर असर पड़ सकता है। वर्षा होने से फसल खराब हो सकती है, जिससे बाजार में गेहूं के दाम भी प्रभावित होंगे। फिलहाल, मंडियों में गेहूं का भाव 2100-3000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है, लेकिन अगर बारिश से फसल खराब हुई, तो किसानों को उचित दाम मिलना मुश्किल हो जाएगा।
क्या करें किसान?
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान अपनी फसल को काटकर सुरक्षित स्थानों पर भंडारित करें। बारिश से पहले अगर संभव हो तो कटाई पूरी कर लें और तिरपाल आदि का इंतजाम करें, ताकि फसल को पानी से बचाया जा सके।
बेहरी और आसपास के इलाकों के किसानों की मेहनत अब पूरी तरह से मौसम पर निर्भर करती दिख रही है। अगर वर्षा नहीं हुई, तो यह उनके लिए राहत की बात होगी, लेकिन अगर अचानक तेज वर्षा हुई तो उन्हें बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।