सिर्फ शब्दों से और ग्रंथों को पढ़ने से अहिंसा नहीं आएगी उसे आचरण में उतारना पड़ेगा

Posted by

– सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र में मनाई सामूहिक क्षमावाणी

– विद्या ग्रेस फाउंडेशन का प्रथम अधिवेशन और सम्मान समारोह भी हुआ

नेमावर (संतोष शर्मा)।
रविवार को निर्यापक श्रमण मुनिश्री वीरसागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर में सामूहिक क्षमावाणी मनाई गई।

इसके साथ ही आचार्यश्री के आशीर्वाद और मुनिश्री की प्रेरणा से मानव सेवा, जीव दया सहित अन्य प्रकल्पों के लिए कार्यरत विद्या ग्रेस फाउंडेशन का प्रथम अधिवेशन और सम्मान समारोह भी हुआ। शुरुआत आचार्य विद्यासागरजी और समयसागरजी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर की गई। फाउंडेशन की ओर से संस्था की ओर से किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी गई। संस्था से जुड़े सभी सहयोगियों का सम्मान भी किया गया।

Nemavar news

इस अवसर पर निर्यापक श्रमण मुनिश्री वीरसागरजी महाराज ने विभिन्न नगरों से आए श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए कहा कि गुरुवर से हमें बहुत कुछ मिला है। महापुरुषों का लक्षण होता है, कि वे शब्दों से ज्यादा नहीं बोलते हैं अपने आचरण से बोलते हैं। इसीलिए दुनिया गुरुदेव के चरित्र और आचरण से प्रभावित हुई। जैसा गुरु ने किया है वो कर लूं, जो गुरु ने पाया है वो पा लूं ऐसी भावना भक्त की होनी चाहिए। यही सच्चे भक्त की पहचान हैं।

Dharm adhyatm

सिर्फ शब्दों से और ग्रंथों को पढ़ने से अहिंसा नहीं आएगी उसे आचरण में उतारना पड़ेगा। गुलाब का चित्र बनाने से खुशबू और पेड़ का चित्र बनाने से ऑक्सीजन नहीं मिलेगी। जब तक धर्म हमारे आचरण में नहीं उतरेगा तब तक हमारे जीवन में भी नहीं आ सकता। जीव दया की भावना और वात्सल्यता हमारे मन में बसी होनी चाहिए। आज आचार्यश्री को अंतरंग से समझने की जरूरत है। दुनिया आपके उपदेशों को भले याद नहीं रखे लेकिन आपने दुनिया के लिये क्या किया है इसे जरूर याद रखा जाता है। एक बूंद अपने आप में बहुत छोटी है लेकिन जब कई सारी बूंदें मिल जाती है तो नदी बन जाती है। इसी तरह सेवा के प्रकल्पों को संगठित होकर आगे बढ़ाया जाए तो छोटे-छोटे सहयोग को मिलाकर बड़ी मदद की जा सकती है।

विद्या ग्रेस फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे कार्यों और प्रयासों की प्रशंसा करते हुए मुनिश्री ने संस्था से जुड़े सभी कार्यकर्ताओं को अपना मंगल आशीर्वाद दिया। मुनिश्री ने कहा इस संस्था का उद्देश्य सहयोग करने की बजाए सक्षम बनाना है। मुनिश्री ने क्षमावाणी पर्व के बारे में अपने विचार रखते हुए कहा कि क्षमा केवल शब्दों से ही नहीं हृदय और मन से भी होनी चाहिए।

मीडिया प्रभारी पुनीत जैन और राजीव जैन ने बताया कि अंत में ट्रस्ट के पदाधिकारियों और ट्रस्टियों ने सभी आंगतुकों से हाथ जोड़कर क्षमा याचना की। इसके पूर्व हरदा जैन महिला परिषद ने मानव सेवा से जुड़ी एक नाटिका की प्रस्तुति भी दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *