सद्गुरु जीवन रूपी नैया को इस सांसारिक भवसागर से पार कर देता है- सद्गुरु मंगलनाम साहेब

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देवास। सद्गुरु कबीर आश्रम सर्वहारा प्रार्थना स्थली सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा सद्गुरु मंगलनाम साहेब के सानिध्य में शब्दावली महापर्व मनाया जा रहा है। इसमें सैकड़ों शब्द पारखी साध संगत शामिल होकर शब्दों को गुरु के वाणी, विचारों को समझ रहे हैं।

भजन, सत्संग एवं गुरुवाणी पाठ में सद्गुरु मंगलनाम साहेब ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा, कि चाहे करोड़ों चंद्रमा आकाश में उदय हो जाए, सूरज हजार भी आकाश में उदय हो जाए तब भी सद्गुरु के संवाद के बिना आत्मबोध का उजियारा नहीं हो सकता। सद्गुरु ही जीवन को तराशकर, निर्मल कर इस जीवन रूपी नैया को भवसागर से पार करता है।

उन्होंने आगे कहा कि अरब-खरब लो द्रव्य हैं, उदय अस्त लो राज, भक्ति महातम ना तूले, यह सब कोने काज। हरी सेवा युग चार, गुरु सेवा पद एक ताके पठतर ना तुले संतन किया विवेक। 43 लाख 20 हजार वर्ष की सेवा को एक पलड़े पर रख दो, फिर भी गुरु की पलभर की सेवा भारी पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि संसारभर के जितने भी गुरु हैं, उनका खजाना भक्ति ही है। भक्ति करने के लिए मनुष्य परतंत्र नहीं स्वतंत्र है, क्योंकि श्वांस बिना किसी सहारे के दबाव में नहीं ली जाती है। सद्गुरु संवाद प्राणीमात्र के लिए भक्ति और विश्वास प्राप्त करने वाली गोष्ठी होती है, इसलिए वैचारिक गोष्ठी में सद्गुरु से संवाद जरूरी होता है।

इस दौरान पंजाब के जिला पटियाला के संत सिंधार सिंह ने मंगलनाम साहेब से सौजन्य भेंट की एवं पुष्पमाला से सम्मान कर नारियल भेंट किया। कार्यक्रम में सैकड़ों शब्द पारखी साध संगत ने भाग लेकर गुरु के वाणी-विचारों को समझा। यह जानकारी सेवक वीरेंद्र चौहान ने दी।

 

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