अंतरात्मा का प्रकाश नापा नहीं जा सकता, वह व्यापक है- सद्गुरु मंगल नाम साहेब

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देवास। सद्गुरु कबीर सर्वहारा प्रार्थना स्थलीय सेवा समिति मंगल मार्ग टेकरी द्वारा सद्गुरु मंगल नाम साहेब के सानिध्य में शब्दावली महापर्व मनाया गया। इस दौरान गुरुवाणी पाठ, गुरु-शिष्य चर्चा में सद्गुरु मंगल नाम साहेब ने विचार प्रकट करते हुए कहा, कि प्रकाश के अभाव में आपको एक अंतर्मन का जो उजाला है, वह अभेदी उजाला आपको जगा देगा। जो बाहरी उजाला है वह सीमा कायम करता है।

यहां से वहां तक, इस दीवार से उस दीवार तक, 100 फीट, 200 फीट या 1000 फीट। इसकी सीमा है लेकिन आत्मा का जो प्रकाश है वह व्यापक है। उसे नापा नहीं जा सकता। उसकी कोई सीमा नही है। आत्मा का उजाला अखंड है जो सदा आपके साथ है लेकिन हम देखना भूल गए हैं। अंतरमन में जो जागृति चल रही है। वह अंधेरे-उजाले से रहित है। जितना आप कौलाहल से दूर होंगे, उतनी ही शांति होगी। आवाज की क्रूरता से अंतरात्मा में चोट लगती है। आवाज से आपका ध्यान भटक जाता है।

उन्होंने कहा, कि जो अंतर्मन का उजाला है वह आपका अपना है। वह अपने से कैसे दूर हो सकता। वह आपके समस्त दुखों को पार करने का मार्ग है। यह जो शरीर रूपी अंधकार हैं। जो साहब का रूप नहीं है। रूप और साहब में अंतर है। आपको 84 लाख के अंधेरे में बांधा है शरीर के तम में। थोड़ी सी गर्मी देकर शरीर पकाया, 9 महीने तक और शरीर में बांध दिया। उन्होंने आगे कहा कि जो अलख पुरुष है, वह दिखने में नहीं आता है। जो सबके पास श्वास रूप में मौजूद है। वही अलख पुरुष है, लेकिन देखा किसने। वह गुरु की संगत से ही देखने समझने में आएगा। श्वास से सब शरीर चल रहे हैं। इसका भेद गुरु से संवाद करने से ही मिलेगा।

उन्होंने कहा, कि जो घाट आपके पास है उसमें नहीं नहा रहे हैं। हम बाहरी घाट पर ही भटक रहे हैं। जब तक अपना बोध नहीं होगा, तब तक शरीर रूपी छाया माया में मानव भटकता रहेगा। जो जानने से ही जाना जाएगा। वह घाट आपका है। आदमी वहां नहीं जा रहा है, इसलिए वह 84 लाख योनियों में, शरीर रूप में भटक रहा है। इस दौरान साध संगत द्वारा सद्गुरु मंगल नाम साहेब का पुष्पमाला से सम्मान कर नारियल भेंट किया। कार्यक्रम पश्चात संगत को महाप्रसाद का वितरण किया गया। यह जानकारी सेवक राजेंद्र चौहान ने दी।

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