परमात्मा शिव की प्रतीति उतनी ही साफ है, जितनी फूलों की सुखदायी सुगंध- ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी

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परमात्मा शिव का भाव मनुष्य में सत्य की शाश्वत प्यास व उत्कंठा जगाने वाला है- ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी

देवास। चैतन्य की यात्रा के आदि पुरुष परमात्मा शिव ने न सिर्फ स्वयं उस दिव्यता की ओर रुख किया। वरन पूरी मनुष्यता को अज्ञात की यात्रा के अचूक सूत्र दे दिए। उन्होंने मानव कल्याण के लिए ऐसी विधियां दे दी जो स्वयं से स्वयं की मुलाकात का जरिया है। जिन्होंने इन विधियों पर प्रयोग किया उन्होंने जाना है, कि परमात्मा शिव द्वारा दी गई ध्यान विधियां अपने आप में पर्याप्त हैं। इसमें कुछ भी जोड़ा अथवा घटाया नहीं जा सकता। शिव शाश्वत और पूर्ण है। जो शुरुआत में भी पूर्ण है और अंत भी।

यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की जिला संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी ने मां चामुंडा सेवा समिति के समाजसेवी रामेश्वर जलोदिया, नरेंद्र मिश्रा, नारायण व्यास के आतिथ्य में मिल रोड स्थित भोलेनाथ मंदिर में परमात्मा शिव की पूजा-अर्चना के दौरान व्यक्त किए। दीदी ने कहा, कि हम मंदिर जरूर जाते हैं, लेकिन हाथ जोड़कर आ जाते हैं। यदि हम थोड़ा वहां ठहरे तो शिव हमें आज भी भीतर तक छूना चाहते हैं। बाहरी शोरगुल से भरे हुए हम, शिव को बिना अनुभूत किए ही चले आते हैं।

उन्होंने कहा, कि भगवान शिव यानी शिव के शुभ और सत्य की प्रतीति उतनी ही साफ है जितनी फूल की सुखदायी सुगंध। जो दिखाई ना देकर भी प्रत्यक्ष है। आज भी हम भरे बाजार से गुजरते हैं और भगवान शिव की प्रतिमा दिखाई देती है तो पलभर को ठिठक जाते हैं। उनकी ऊर्जा हमें खींचती है। उनका बाहरी रूप देखकर वैराग्य का भाव अस्तित्व को जानने की उत्कंठा पैदा करता है। संसार में हम भले ही उस बात को पल भर में भूल जाते हैं, लेकिन भोले का भाव मनुष्य मात्र के भीतर छिपी सत्य की शाश्वत प्यास और उत्कंठा जगाने वाला है। वह सत्य की ओर, उस हिमालय की ओर मनुष्य की चेतना को अदृश्य रूप में खींचते प्रतीत होते हैं।

इस अवसर पर समाजसेवी श्री जलोदिया, श्री मिश्रा, उम्मेदसिंह राठौड़, मातृशक्ति मंजू जलोदिया, प्रेमलता चौहान, दुर्गा व्यास, संगीता जोशी, सुधा सोलंकी, कला तंवर, मनीषा बहन, अपुलश्री बहन, एकता बहन, हेमा वर्मा सहित संस्था से जुड़े भाई-बहन व समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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