धर्म-अध्यात्म

प्रभु श्रीराम दयालु है, बिन मांगे ही विभीषण को लंका का राज्य दे दिया- आचार्य अनिल शर्मा

जिनका हृदय पवित्र होता है वही परमात्मा का वास होता है- आचार्य अनिल शर्मा

कलश यात्रा के साथ हुआ श्रीराम कथा का शुभारंभ

देवास। जो उत्तम श्रोता होते हैं, जो उत्तम कार्य करते हैं, वे एक बार नहीं, हजार बार नहीं, एक करोड़ बार भी विघ्न आ जाए तो काम को छोड़ते नहीं। डर से कोई काम को अधूरा छोड़ देना मूर्खता है। भगवान पर जब विश्वास पक्का होता है, तो चाहे कितने ही विघ्न आ जाए काम को अधूरा नहीं छोड़ना है। भगवान हमारी परीक्षा जरूर लेते हैं। विघ्न आना भी जरूरी है।

यह विचार श्रीखाटू श्याम महिला समिति चाणक्यपुरी एक्सटेंशन द्वारा 22 से 28 फरवरी तक चंद्रेश्वर महादेव मंदिर चाणक्यपुरी एक्सटेंशन में आयोजित की जा रही श्रीराम कथा के शुभारंभ अवसर पर व्यासपीठ से जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्यजी के शिष्य कथावाचक आचार्य अनिल शर्मा आसेर वाले ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि भगवान के पास देने के लिए एक तो उनकी माया है और एक उनकी भक्ति है। माया को भगवान बहुत जल्दी दे देते हैं। कभी-कभी तो बगैर मांगे भी दे देते हैं। जैसे विभीषण ने प्रभु श्रीराम से लंका के राज्य को मांगा नहीं था, लेकिन उसे बगैर मांगे ही दे दिया। भगवान बड़े दयालु हैं। भगवान की भक्ति उन्हीं को मिलती है, जिनका हृदय पवित्र हो। जिनका हृदय पवित्र होता है, वही परमात्मा का वास होता है।

उन्होंने कहा, कि माया देने में भगवान देर नहीं करते हैं, लेकिन भक्ति देने में बड़ी देर करते हैं। भगवान भक्त का वचन कभी खाली नहीं जाने देते, लेकिन थोड़ी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। भगवान की भक्ति को प्राप्त करने के दो उपाय हैं एक तो यह है कि आकर बैठो भगवान की कथा सुनो, भगवान को हृदय में ले जाओ। भगवान की कथा इसलिए सुनो कि भगवान हृदय में आ जाए। पहले कथा इसलिए सुन रहे थे, कि भगवान हृदय में आ जाए और अब इसलिए सुन रहे हैं कि भगवान हृदय से न जाए। हमेशा कथा श्रवण करते रहिए। यह मन बड़ा बदमाश है, इस पर कभी भरोसा मत करना, लेकिन भगवान पर भरोसा बनाए रखना।

कथा शुभारंभ से पूर्व राम मंदिर से कलश यात्रा निकाली गई। प्रमुख मार्गों से होते हुए कथा स्थल चंद्रेश्वर महादेव मंदिर चाणक्यपुरी एक्सटेंशन पहुंची। बैंड-बाजों एवं बग्घी के साथ निकली कलश यात्रा का जगह-जगह धर्मप्रेमियों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। बड़ी संख्या में माता-बहने सिर पर कलश धारण कर शामिल हुईं। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक होगी। प्रथम दिवस बड़ी संख्या में धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

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