शिक्षा

देवास जिले में स्कूल संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को समाप्त करने के प्रतिबंधात्‍मक आदेश जारी

  • आदेश का उल्‍लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत होगी कार्रवाई
  • प्रत्येक कक्षा के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची परीक्षा परिणाम के पूर्व ही अपने स्कूल की बेवसाइट पर अपलोड करेंगे
  • स्कूल संचालक/प्राचार्य विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय करने के लिए बाध्य नहीं करेंगे
  • अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून 2023 तक क्रय कर सकेंगे
  • कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे

देवास। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी ऋषव गुप्ता ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (1) (2) के तहत स्कूल संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए देवास जिले की संपूर्ण राजस्व सीमा के लिए प्रतिबंधात्‍मक आदेश जारी किए हैं। यदि कोई व्यक्ति आदेश का उल्‍लंघन करेगा तो उसके विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।

जारी निर्देशानुसार स्कूल संचालक/प्राचार्य स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व ही अपने स्कूल की बेवसाइट पर अपलोड करेंगे एवं विद्यालयीन सार्वजनिक सूचना पटल/स्थान पर चस्पा करेंगे। मान्यता नियमों के अंतर्गत स्कूल की स्वयं की बेवसाइट होना अनिवार्य है। स्कूल के प्राचार्य/संचालक पुस्तकों की सूची की एक प्रति प्रवेशित अभिभावकों को प्रवेश के समय एवं परीक्षा परिणाम के समय आवश्यक रूप से उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।

स्कूल संचालक/प्राचार्य विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय करने के लिए बाध्य नहीं करेंगे। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून तक क्रय कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र में प्रथम 30 दिवस की अवधि 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक के मध्य का उपयोग विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन व्यवहारिक ज्ञान व मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में किया जाएगा।

स्कूल जिस नियामक बोर्ड यथा सीबीएसई/आईसीएसई/एमपीबीएसई/ माध्यमिक शिक्षा मंडल आदि से संबद्ध है, उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यक्रम के अन्तर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिकरूप से अधिकृत एजेंसी यथा एनसीआरटीई मप्र पाठ्य पुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों/मुद्रकों द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन के लिए प्रतिबंधित करेंगे।

स्कूल संचालक/प्राचार्य सुनिश्चित करेंगे कि उक्त के अतिरिक्त अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों/मुद्रकों द्वारा प्रकाशित पुस्तकें क्रय करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

स्कूल संचालक/प्राचार्य द्वारा विद्यार्थियों/अभिभावकों को पुस्तकें, कापियां, संपूर्ण यूनिफार्म आदि संबंधित स्कूल/ संस्था अथवा किसी भी एक दुकान/विक्रेता/संस्था विशेष से क्रय किए जाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

स्कूल संचालक/प्राचार्य/पालक शिक्षक संघ (पीटीएम) सुनिश्चित करेंगे, कि किसी भी स्थिति में पुस्तकों के निजी प्रकाशक/मुद्रक/विक्रेता स्कूल परिसर में प्रचार-प्रसार के लिए किसी भी स्थिति में प्रवेश नहीं करें। स्कूल संचालक/प्राचार्य/ विक्रेता द्वारा पुस्तकों के सेट की कीमत बढ़ाने के लिए अनावश्यक सामग्री जो निर्धारित पाठ्यक्रम से संबंधित ही नहीं है का समावेश सेट में नहीं किया जाएगा। कोई भी विक्रेता किसी भी कक्षा के पूरे सेट को क्रय करने की बाध्यता नहीं रखेगा, यदि किसी विद्यार्थी के पास पुरानी पुस्तकें उपलब्ध हैं, तो उसे केवल उसकी आवश्यकता की पुस्तकें ही विक्रेता द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।

नोटबुक, कॉपी पर ग्रेड किस्म, साइज, मूल्य, पृष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए। किसी भी पुस्तक, नोट बुक, कॉपी अथवा इन पर चढ़ाए जाने वाले कवर पर विद्यालय का नाम मुद्रित नहीं किया जाएगा। कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे, ब्लेजर/स्वेटर इसके अतिरिक्त होगा। विद्यालय प्रशासन द्वारा यूनिफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जा सकेगा, कि कम से कम 3 वर्ष तक इसमें परिवर्तन नहीं हो। विद्यालय प्रशासन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा अन्य किसी आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को विद्यार्थियों/पालकों को क्रय करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

जिन विषयों के संबंध में नियामक संस्था द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित/मुद्रित नहीं की गई है। उस विषय से संबंधित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित किये जाने के पूर्व स्कूल संचालक सुनिश्चित करेंगे, कि उक्त पुस्तक की पाठ्य सामग्री ऐसी आपत्तिजनक नहीं हो जिससे कि लोक शांति भंग होने की संभावना हो। यह आदेश जन साधारण की सुविधा के लिए तत्काल प्रभावशील किया जाना आवश्यक है।

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