– पं. कमलेश शास्त्री से जाने दान करने की विधि एवं उपाय
देवास। इस बार अक्षय तृतीया पर पितृ दोष निवारण हेतु विशेष दुर्लभ योग बन रहे हैं।
इस संबंध में पं. कमलेश शास्त्री बड़नगर ने बताया कि ‘वशाखे शुक्ल पक्षेत् तृतीया रोहिणीयुता दुर्लभा बुधवारेण’ नारद पुराण के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया रोहिणी नक्षत्र और बुधवार से युक्त हो, ऐसा योग मिलना अत्यंत दुर्लभ है।
अबकी बार यह योग अक्षय तृतीया 30 अप्रैल पर बन रहा है, जो बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन किए गए दान पुण्य का विशेष फल मिलता है। देवी पुराण में कहा है ‘तृतियायां तु वैशाखे रोहिण्यक्षे प्रपुज्यतु उदक्कुम्भ प्रदाने न शिवलोके महियते’ अर्थात वैशाख तृतीया रोहिणी नक्षत्र में जल के घड़े की पूजन कर दान करने से शिव लोक में सत्कार पाता है।
पं. शास्त्री ने बताया कि इस दिन विशेष रूप से स्वर्ण, अन्न, जउ, गेहूं, चने, सत्तु, खरबुजा और जल का घड़ा एवं युग धर्म के अनुसार गर्मी से राहत देने वाली वस्तुएं पंखा, कूलर, छतरी आदि जो भी हो, उसका दान पितृों के निमित्त करें। दान किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण के घर जाकर दें, क्योंकि शास्त्रों में लिखा है ब्राह्मण को घर बुलाकर दिया गया दान अधम और ब्राह्मण के घर जाकर दिया गया दान श्रेष्ठ होता है।
इस प्रकार किए गए दान से कई पीढ़ियों तक के पितृ तृप्त होते हैं। पितृ दोष से मुक्ति मिलती है एवं स्वयं भी सुखों का भोग कर मरणोपरांत स्वर्ग को प्राप्त करता है।