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सतवा अमावस्या पर्व पर नर्मदा तट नेमावर में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

ByNews Desk

Apr 27, 2025
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– श्रद्धालुओं ने किया पुण्य स्नान और सत्तू का दान, सिद्धनाथ मंदिर में भस्म आरती के दर्शन को लगी कतार

नेमावर (संतोष शर्मा)। वैशाख मास की बड़ी अमावस्या, जिसे सतवा अमावस के नाम से जाना जाता है, पर नेमावर नर्मदा तट पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त किया। शनिवार शाम से ही भक्तों का सैलाब तट पर उमड़ने लगा था, जो रविवार देर रात तक जारी रहा।

नर्मदा में किया दीपदान-
शनिवार की संध्या को भक्तों ने मां नर्मदा की महाआरती में भाग लिया और दीपदान कर मां की पावन गोद में रात्रि विश्राम किया। संपूर्ण रात भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने भक्ति भाव से मां नर्मदा का गुणगान किया और रात्रि में भी आरती की गई।

भस्म आरती में शामिल हुए भक्त-
रविवार प्रातः शुभ मुहूर्त में भक्तों ने पवित्र नर्मदा स्नान कर पुण्य अर्जित किया। प्रातः 4 बजे भगवान सिद्धनाथ महादेव की भस्म आरती के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी थीं। महंत संदीप पुरी ने भगवान सिद्धनाथ का नर्मदा जल से अभिषेक कर भस्म लेपन किया और प्रथम प्रहर की भव्य आरती संपन्न कराई। इसके बाद भक्तों ने भगवान का जलाभिषेक कर सुख, समृद्धि और आरोग्य की कामना की।

दान देकर की सेवा-
भक्तों ने ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त किया। साथ ही नर्मदा तट पर बैठे गरीबों को सत्तू, अन्न, वस्त्र, चप्पल, और छतरी का दान कर पुण्य अर्जित किया। मानवता और सेवा का यह अनुपम उदाहरण श्रद्धालुओं द्वारा प्रस्तुत किया गया।

भीषण गर्मी में सत्तू का वितरण-
इस भीषण गर्मी में भारतीय परंपरा के अनुसार, गेहूं और चने से बने सत्तू का बड़े पैमाने पर वितरण किया गया। नर्मदा तट पर जगह-जगह सत्तू के स्टॉल लगे थे, जहां भक्त दिल खोलकर सत्तू का दान करते नजर आए। साथ ही कई स्थानों पर शीतल जल की भी व्यवस्था की गई थी, जिससे यात्रियों को राहत मिली।

भंडारे का आयोजन-
क्षेत्रीय विधायक आशीष शर्मा के सानिध्य में माली समाज धर्मशाला के पास हर अमावस्या की तरह इस बार भी भव्य भंडारे का आयोजन किया गया। हजारों नर्मदा भक्तों ने कतारबद्ध होकर प्रसाद ग्रहण कर धर्म लाभ लिया।

प्रशासन रहा सतर्क-
नगर परिषद अध्यक्ष कृष्ण गोपाल अग्रवाल, सीएमओ आनंदीलाल वर्मा और नवागत थाना प्रभारी मनोज सिंह अपनी टीम के साथ पूरे समय व्यवस्था में मुस्तैद रहे। सुरक्षा के दृष्टिकोण से खतरनाक घाटों पर विशेष तैराक दल तैनात किया गया और नावों के माध्यम से लगातार सर्चिंग की जाती रही। स्नान का दौर अल सुबह से लेकर देर रात तक चलता रहा।

पितृ तर्पण के लिए तुरनाल ग्राम में पहुंचे श्रद्धालु-
कई भक्तों ने इस अवसर पर अपने पितरों के मोक्ष हेतु नर्मदा-गौनी संगम तट, ग्राम तुरनाल में पहुंचकर तर्पण कर्म किया। यह स्थान भगवान परशुराम द्वारा अपने माता-पिता का पिंडदान किए जाने के कारण गया तीर्थ के समतुल्य माना जाता है।

हालांकि, इस तीर्थ स्थल पर छाया आदि मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, जिसके चलते श्रद्धालुओं को धूप में तपते हुए तर्पण करना पड़ा। स्थानीय लोगों ने कई बार शासन-प्रशासन से इस पवित्र स्थल के विकास की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है। बाहर से आने वाले भक्त इस बदइंतजामी को देखकर असंतोष व्यक्त करते नजर आए।

सतवा अमावस्या पर्व पर नेमावर में श्रद्धा, सेवा और भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला। श्रद्धालुओं की भीड़, सेवा कार्य, और भक्ति भाव ने इस पर्व को अत्यंत विशेष बना दिया। अब आवश्यकता है कि प्रशासन इस तीर्थ स्थली के विकास की ओर ध्यान दे ताकि भविष्य में श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।