बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। भारतीय संस्कृति में होली केवल रंगों का उत्सव ही नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, भाईचारे और नई ऊर्जा का प्रतीक भी है। इसी परंपरा को निभाते हुए सकल पंच समाज ने मिलकर संयुक्त गैर निकाली और क्षेत्र के शोकसंतप्त परिवारों के घर पहुंचकर उन्हें सांत्वना दी व गुलाल का तिलक लगाकर रंगों के पर्व में शामिल किया।
परंपरा के अनुसार, यदि किसी परिवार में हाल ही में किसी प्रियजन का निधन हुआ हो तो वह परिवार उत्सवों से दूर रहता है, लेकिन समाज में यह भावना भी महत्वपूर्ण मानी जाती है कि होली के रंगों से नए उत्साह और ऊर्जा का संचार होता है, जिससे शोकाकुल परिवारों में भी सकारात्मकता का संचार होता है। इसी सोच के साथ सकल पंच समाज के पुरुषों और महिलाओं ने गैर निकालकर उन परिवारों तक पहुंच बनाई, जिन्होंने हाल ही में अपने प्रियजन को खोया था।
इन परिवारों में पहुंचकर समाज के लोगों ने सबसे पहले घर के सभी सदस्यों को गुलाल का तिलक लगाया और उन्हें सांत्वना दी कि जीवन आगे बढ़ने का नाम है। इसके बाद, महिलाओं ने घर में जाकर परंपरागत रूप से रंग-गुलाल खेला और मंगल गीत गाकर माहौल को सौहार्दपूर्ण बनाया।
मंगल गीतों से गूंजे घर-आंगन-
होली के इस खास मौके पर महिलाओं ने पारंपरिक फाग गीत और मंगल गीत गाए, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ। यह माना जाता है कि होली पर्व के बाद से इन परिवारों में शुभ कार्यों की शुरुआत हो सकती है और एक नई सकारात्मकता उनके जीवन में आ सकती है।
गुड़-पतासे बांटकर मनाई गई खुशी-
सामाजिक समरसता के इस अनूठे आयोजन में कुछ परिवारों ने गुड़ बांटा, तो कुछ ने पतासे वितरित किए, जिससे प्रेम और सौहार्द की मिठास हर ओर फैल गई। समाज के इस कदम से उन परिवारों को भावनात्मक संबल मिला।
शांति व्यवस्था के लिए प्रशासन रहा सतर्क-
गैर निकलने और शोकसंतप्त परिवारों तक पहुंचने के दौरान क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए बागली थाना प्रभारी के मार्गदर्शन में बीट प्रभारी SI अहमद कुरैशी अपने जवानों के साथ पूरी तरह अलर्ट रहे। उनके कुशल नेतृत्व में पूरे कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र में शांति एवं सौहार्द का माहौल बना रहा।