बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायत मुख्यालय बेहरी में इस वर्ष इको-फ्रेंडली होली जलाई गई। पंचायत द्वारा पिछले वर्ष ही होलीका दहन स्थल का पुनर्निर्माण किया गया था, जिसे किसी पूजा स्थल की तरह डिजाइन किया गया है। दूर से देखने पर यह स्थान हेलीपैड जैसा प्रतीत होता है।
कंडों से होली दहन, कम लकड़ी का उपयोग-
ग्राम सरपंच हुकम बछानिया ने सभी ग्रामीणों से अपील की थी कि वे होली दहन में लकड़ी की बजाय कंडों का उपयोग करें। इस अपील का व्यापक असर दिखा, जिससे प्रमुख होलीका दहन स्थल पर न्यूनतम लकड़ी का प्रयोग किया गया। इससे पर्यावरण संतुलित रहने के साथ-साथ नदी और अन्य जलस्रोतों को प्रदूषित होने से बचाया जा सका।
चंदे में नगद राशि नहीं, कंडों का सहयोग-
गांववासियों ने इस बार चंदे के रूप में नकद राशि देने की बजाय कंडों का सहयोग किया। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान मिला, बल्कि होली की सुंदरता भी बढ़ी।
रासायनिक रंगों से दूरी की अपील-
वरिष्ठ ग्रामीणों ने दो दिन पूर्व घर-घर जाकर लोगों से रासायनिक रंगों से बचने की अपील भी की। उनका संदेश था कि पारंपरिक और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके होली का त्योहार मनाया जाए, ताकि त्वचा व स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े।
गेर की परंपरा भी निभाई जाएगी-
होली दहन के पश्चात गांव में पारंपरिक गैर यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें ग्रामीण उत्साहपूर्वक भाग लेंगे। वरिष्ठ ग्रामीण प्रहलाद गोस्वामी ने बताया कि कंडों से जलने वाली होली देखने में भी आकर्षक लगती है और इससे पर्यावरण को कम नुकसान होता है। बेहरी ग्राम पंचायत की यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणादायक साबित हो सकता है।