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प्रधानमंत्री श्रमयोगी मान-धन योजना में असंगठित कामगारों को 60 वर्ष की आयु के बाद 3,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाने की सुविधा दी गई है। इस योजना का लाभ लेने के लिए श्रमिकों को कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर आधार कार्ड और पासबुक के जरिए बायो मैट्रिक पंजीकरण कराना होता है।
अमृत काल में एक विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिए भारत के सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने में भारत की श्रम शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है। भारत को एक बार फिर सबसे तेजी से विकास कर रहे देशों में से एक बनाने का बहुत बड़ा श्रेय हमारे श्रमिकों को ही जाता है। भारत के सपनों को पूरा करने के लिए श्रमिकों का सशक्तीकरण जरूरी है। भारत जब आजादी के 75 वर्ष पूरे कर चुका है तो भी यहां 85 से 90% मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं, जिन्हें पहले सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं प्राप्त नहीं थी।
भारत के इतिहास में ये पहला मौका है जब किसी सरकार ने श्रमिकों की सुध ली है। केंद्र सरकार 29 श्रम कानूनों को 4 श्रम कोड में शामल कर चुकी है। वहीं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पांच मार्च 2019 को वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा देने वाली प्रधानमंत्री श्रमयोगी मान-धन योजना शुरू की थी। इस योजना की शुरुआत हुए चार वर्ष बीत गए है और इस दौरान योजना का लाभ देश के 49 लाख से अधिक श्रमिकों तक पहुंचा है। केंद्र सरका का मानना है कि असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिक और कामगार देश की नींव है। यही कारण है कि सरकार श्रमिकों के कल्याण और उनका जीवन आसान करने के लिए काम कर रही है। हालांकि केंद्र में नौ वर्ष पहले नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले तक किसी ने इनकी सुध नही ली थी। मगर मोदी सरकार ने बीते 9 वर्षों में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना से आकस्मिक निधन या निशक्तता की दशा में आर्थिक सहायता का प्रबंध किया है। इसके अलावा सरकार ने श्रमिकों को बुढ़ापे के लिए भी सशक्त बनाया है। बुढ़ापे में आर्थिक सहारा देने के लिए प्रधानमंत्री श्रमयोगी मान-धन योजना शुरू की है। केंद्र में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाहिर किया कि राष्ट्र के विकास में ‘सस्तयमेव जयते’ के बराबर ‘श्रमेव जयते’ की ताकत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में शुरू प्रधानमंत्री श्रमयोगी मान-धन योजना की शुरुआत की गई जिसमें 13 फरवरी, 2023 तक 49.25 लाख लाभार्थियों ने पंजीकरण कराया है।
गौरतलब है कि राष्ट्र के निर्माण की मजबूत नींव असंगठित क्षेत्र के निर्माण मजदूर, सब्जी विक्रेता, सफाई कर्मचारी, सुरक्षा गार्ड, मिट्टी का बर्तन बनाने वाले, घरेलू कामगार, रेहड़ी पटरी वाले सहित अन्य असंगठित मजदूरों का भविष्य सुरक्षित रखना आवश्यक है। बुढ़ापे के समय में आर्थिक जरुरतों पूरी करने के लिए भी सराकर ने कदम उठाए हैं ताकि जीवन भर कुछ राशि देकर बुढ़ापे तक के लिए पेंशन का इंतजाम हो सके। इससे ये लाभ होगा कि जब बुढ़ापे में व्यक्ति का शरीर काम न करे तो किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े और श्रमिक भी गौरवपूर्ण जीवन जी सके।
प्रधानमंत्री श्रमयोगी मान-धन योजना में असंगठित कामगारों को 60 वर्ष की आयु के बाद 3,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाने की सुविधा दी गई है। इस योजना का लाभ लेने के लिए श्रमिकों को कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर आधार कार्ड और पासबुक के जरिए बायो मैट्रिक पंजीकरण कराना होता है। योजना का लाभ लेने के लिए खुद भी पंजीकरण किया जा सकता है, जो की ऑनलाइन होता है। इसके बाद खाते से हर महीने 50 प्रतिशत अंशदान ऑटो डेबिट करने की अनुमति देनी होती है। केंद्र सरकार की इस योजना के जरिए कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोगों में विश्वास पैदा हुआ है। इस योजना का लाभ उठा कर लोगों का भविष्य सुरक्षित हुआ है।
बता दें कि प्रधानमंत्री श्रमयोगी मान धन योजना असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और देश के वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना की शुरुआत के समय भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असंगठित क्षेत्र के लोगों से योजना के लिए पंजीकरण कराने की अपील की थी। उन्होंने आम जनता से भी अपील की थी कि अपनी जान पहचान के इस वर्ग के श्रमिकों का अधिक से अधिक पंजीकरण कराने में मदद करे। जानकारी के मुताबिक इस योजना का लाभ असंगठित क्षेत्रों के श्रमिक जैसे-ड्राइवर, रिक्शा चालक, मोची, दर्जी, मजदूर घरों में काम करने वाले, ईंट भट्टा पर काम ककरने वाले मजदूर उठा सकते है।
ऐसे कर सकते हैं आवेदन
– इस योजना में आवेदन करने के लिए असंगठित क्षेत्र के मजदूर की उम्र 18-40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। योजना का लाभ उन्हीं मजदूरों को मिलेगा जिनके मासिक आय 15 हजार रुपये या इससे कम है। इसी के साथ जो मजदूर ईपीएफओ, एनपीएस की सदस्य नहीं है, इस योजना में सिर्फ वो ही आवेदन कर सकते है।
– आवेदन करने के लिए श्रमिक के पास मोबाइल फोन, आधार नंबर और बचत खाता होना चाहिए। पंजीकरण की सुविधा देश के 4 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर में भी उपलब्ध है।
– योजना में आवेदन करने के इच्छुक श्रमिक www.maandhan.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
– योजना के नियमों के मुताबिक 18 वर्षीय श्रमिक को हर महीने 55 रुपये का निवेश करना होगा। श्रमिक की आयु अगर 29 वर्ष है तो उसे हर महीने 100रुपये और 40 वर्ष की उम्र के श्रमिकों को मासिक 200 रुपये का निवेश करना होगा। इस प्रीमियम में 50 प्रतिशत राशि श्रमिक की और 50 प्रतिशत राशि सरकार की तरफ से दी जाती है।
– किसी कारण वश अगर पेंशन के दौरान लाभार्थी की मृत्यु होती है तो उसके जीवनसाथी को 50% धनराशि पेंशन के रूप में दिए जाने की सुविधा है।
केंद्र सरकार ने श्रमिकों और कामगारों के कल्याण के लिए कई अन्य योजनाओं की भी शुरुआत की है।
इन योजनाओं में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना शामिल है जिसके अंतर्गत जीवन बीमा कवर होता है। बैंक या डाकघर के खाता धारक और और ऑटो डेबिट की सहमति देने वालों को 436 रुपये के वार्षिक प्रीमियम का भुगतान करना होता है जिसके आधार पर 18 से 50 वर्ष की आयु के योजनाधारक को 2 लाख रुपये की कवरेज दी जाती है।
– इस के अलावा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना की शुरुआत हुई है जिसमें दुर्घटना के कारण जीवन और निशक्तता को कवर किया जाता है। इसमें 18 से 70 वर्ष के आयु वर्ग वाले व्यक्ति की बैंक या डाकघर में खाता होने और ऑटो डेबिट 20 रुपये की सहमति दिए जाने पर मृत्यु व पूर्ण स्थायी निशक्तता के मामले में 2 लाख और आंशिक स्थायी निशक्तता के मामले में 1 लाख रूपये तक की कवरेज दी जाती है।
– आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में 27 स्पेशियलिटी में 1949 प्रक्रियाओं में भर्ती किए जाने के लिए पात्र परिवार को 5 लाख रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य कवरेज दिया जाता है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कह चुके हैं कि श्रमिकों के लिए पहली बार है कि इस तरह की योजनाओं को शुरू किया गया हो। उन्होंने कहा था कि आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब इस प्रकार की योजना केंद्र सरकार ने शुरू की है। वहीं असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डाटा सरकार के पास हो इसलिए 26 अगस्त 2021 में ई श्रम पोर्टल पर पंजीकरण शुरू किया गया। पोर्टल में 28.56 करोड़ से अधिक असंगठित कामगारों का आधार के साथ पंजीकरण हो चुका है जिसमें 52.80 प्रतिशत महिला कामगार हैं। आजादी के बाद इतिहास की यह पहली योजना है जिसने समाज के उस वर्ग को छुआ है, जिसके बारे में कभी सोचा ही नहीं गया। जिनको अपने ही भाग्य पर छोड़ दिया गया था। यह बीते वर्षों में शुरू की गई योजनाओं का विस्तार है। गरीब को, श्रमिक को, सस्ती स्वास्थ्य सेवा हो या फिर बीमा का सुरक्षा कवच, यह भी पहली बार हमारी सरकार ने ही सुनिश्चित किया है।
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