[ad_1]
भाजपा येदियुरप्पा को काफी महत्व दे रही है क्योंकि माना जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष केंद्रीय नेता चाहते हैं कि चुनावी राजनीति से संन्यास की पहले ही घोषणा कर चुके अस्सी वर्षीय येदियुरप्पा कर्नाटक के आगामी विधानसभा चुनाव में केंद्रीय भूमिका में रहें।
कर्नाटक विधानसभा चुनावों से पहले हाल के दिनों में जिस तरह भाजपा ने कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा को फिर से तवज्जो देना शुरू किया था उससे लग रहा था कि पार्टी एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के करिश्मे पर ही निर्भर रह गयी है। ऐसे में सवाल उठ रहा था कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को चेहरा आगे रखा जायेगा भी या नहीं? लेकिन अब जिस तरह से भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री बोम्मई के नेतृत्व में प्रदेश चुनाव अभियान समिति का गठन किया है, उससे साफ हो गया है कि चुनावों के दौरान बोम्मई ही मुख्य भूमिका में रहेंगे। पार्टी ने चुनाव प्रबंधन समिति की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे को सौंपी है जोकि येदियुरप्पा की करीबी मानी जाती हैं।
देखा जाये तो भाजपा ने लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बोम्मई को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख और वोक्कालिगा समुदाय से आने वाली करंदलाजे को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक नियुक्त कर, दो प्रभावशाली जातियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश भी की है। इसके अलावा कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को चुनाव अभियान समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। पार्टी ने कर्नाटक के अपने केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी की राज्य इकाई के नेताओं को भी दोनों समितियों में सदस्य के रूप में नियुक्त किया है।
पार्टी येदियुरप्पा को काफी महत्व दे रही है क्योंकि माना जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष केंद्रीय नेता चाहते हैं कि चुनावी राजनीति से संन्यास की पहले ही घोषणा कर चुके अस्सी वर्षीय येदियुरप्पा कर्नाटक के आगामी विधानसभा चुनाव में केंद्रीय भूमिका में रहें। येदियुरप्पा को चुनाव अभियान में सबसे आगे रखने की वजह कोई छिपी हुई नहीं है, क्योंकि प्रदेश में पार्टी को जमीनी स्तर से खड़ा करने वाले और चार बार मुख्यमंत्री रह चुके येदियुरप्पा की लोगों, खासकर प्रभावशाली लिंगायत समुदाय, के बीच व्यापक पकड़ है। भाजपा ‘येदियुरप्पा फैक्टर’ पर भरोसा कर रही है और उनके प्रभाव का भरपूर इस्तेमाल करते हुए उन्हें ‘पोस्टर ब्वॉय’ के रूप में सामने रख रही है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व हाल के दिनों में अपनी जनसभाओं में येदियुरप्पा के लिए तारीफ का पुल बांधता रहा है।
देखा जाये तो अक्सर ऐसा नहीं होता नहीं है कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में कोई और सुर्खियों में रहे, लेकिन 27 फरवरी को एक ऐसे मौके पर शिवमोगा की जनसभा में मोदी ने कर्नाटक में भाजपा के कद्दावर नेता येदियुरप्पा को ‘कर्मभूमि’ का ‘गौरव’ बताया था। यही नहीं, हाल में येदियुरप्पा के 80वें जन्मदिन पर शिवमोगा हवाई अड्डे के उद्घाटन के अवसर पर जनसभा में मोदी सार्वजनिक जीवन में उनके योगदानों को ‘प्रेरणादायी’ बताते नजर आये। प्रधानमंत्री ने मंच पर उनका अभिनंदन किया था और जनसभा में मौजूद लोगों से येदियुरप्पा के सम्मान के तौर पर अपने मोबाइल फोन का फ्लैश लाईट जलाने की अपील की। इस अपील पर लोगों की प्रतिक्रिया उत्साहजनक थी। जब लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता येदियुरप्पा ने अपना भाषण समाप्त किया, तब मोदी ने खड़े होकर उनकी तारीफ की थी।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने हाल में कर्नाटक विधानसभा में येदियुरप्पा द्वारा दिये गये आखिरी भाषण का भी बार-बार जिक्र किया और कहा कि यह सार्वजनिक जीवन में हर व्यक्ति के लिए ‘प्रेरणास्पद’ है। साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने भी हाल में एक जनसभा में लोगों से मोदी एवं येदियुरप्पा पर विश्वास करने तथा भाजपा के पक्ष में वोट देकर राज्य में फिर उसे सत्तारूढ़ करने की अपील की थी। इसी तरह के बयान नड्डा एवं राजनाथ सिंह भी दे चुके हैं, जो हाल ही में प्रचार के लिए आये थे।
बहरहाल, कुछ राजनीतिक प्रेक्षकों एवं पार्टी के अंदरूनी स्रोतों का कहना है कि येदियुरप्पा को भाजपा द्वारा पेश करने का लक्ष्य सत्ताविरोधी लहर की धार कुंद करना, लिंगायत वोटबैंक को कायम रखना तथा विपक्षी कांग्रेस के आरोपों का मुकाबला करना जान पड़ता है।
-गौतम मोरारका
[ad_2]
Source link
Leave a Reply