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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद करोड़ी लाल मीणा शहीदों की पत्नियों से मुलाकात करने के लिये चौमू कस्बे जा रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके साथ हाथापाई की गई है और उन्हें हिरासत में लिया गया है।
राजस्थान पुलिस ने 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के तीन जवानों की वीरांगनाओं को शुक्रवार तड़के यहां कांग्रेस नेता सचिन पायलट के घर के बाहर प्रदर्शन स्थल से हटा दिया।
पुलिस ने उन्हें उनके आवासीय क्षेत्रों के पास के अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद करोड़ी लाल मीणा शहीदों की पत्नियों से मुलाकात करने के लिये चौमू कस्बे जा रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके साथ हाथापाई की गई है और उन्हें हिरासत में लिया गया है।
मीणा को घटना के बाद गोविंदगढ़ के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर उनकी सेहत के कारण उन्हें वहां से जयपुर के एसएमएस अस्पताल भेज दिया गया।
मीणा ने ट्विटर पर आरोप लगाया, “ पुलिस ने मुझे मारने की कोशिश की, लेकिन वीरांगनाओं, युवा, बेरोजगारों और गरीबों के आशीर्वाद से बच गया। मुझे चोट आई है। गोविंदगढ़ अस्पताल से मुझे जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल रेफर किया गया है।’’
विधानसभा में विपक्षी दल के उपनेता राजेंद्र राठौड़ और पूर्व मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने मीणा से अस्पताल में मुलाकात की।
शुक्रवार सुबह मीना एसईजेड थाने गए जहां तीन वीरांगनाओं के समर्थकों को शुरुआत में रखा गया था और कहा कि सरकार उनकी आवाज नहीं दबा पाएगी।
मीणा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार तीन वीर महिलाओं से इतना क्यों डरती है कि पुलिस उन्हें रातों-रात उठा ले गई। पता नहीं उन्हें कहां ले गए हैं? महिलाएं केवल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी से मिलने की गुहार लगा रही हैं। मुख्यमंत्री उनकी बात सुनकर इतना घबरा क्यों रहे हैं?’’
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘एसईजेड पुलिस थाने के बाहर धरने पर बैठा हूं। सरकार पुलिस के बल पर वीरांगनाओं की आवाज नहीं दबा पाएगी। एक निरंकुश और तानाशाही सरकार का अधिक ताकत के साथ विरोध किया जाएगा।’’
बाद में मीणा शहीदों की पत्नियों से मुलाकात करने के लिये गए लेकिन जयपुर जिले के चौमू कस्बे के तहत आने वाले सामोद थाने की पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक दिया।
मीणा ने ट्वीट किया, ‘‘ मैं अपने समर्थकों के साथ सामोद बालाजी के दर्शन करने जा रहा था, लेकिन सामोद थाना पुलिस ने मुझे रोका और मेरे साथ दुर्व्यवहार व हाथापाई की। क्या वीरांगनाओं के साथ खड़ा होना इतना बड़ा गुनाह है कि अशोक गहलोत सरकार एक जनप्रतिनिधि के साथ इस तरह का आचरण कर रही है?’’
मीणा के एक करीबी सहयोगी ने बताया कि पुलिस की कार्रवाई तड़के करीब तीन बजे हुई जब मीणा अपने आवास गए थे।
ये वीरांगनाएं 28 फरवरी से प्रदर्शन कर रही हैं और इन्होंने नियमों में बदलाव की मांग करते हुए छह दिन पहले अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी थी ताकि न सिर्फ उनके बच्चों बल्कि उनके रिश्तेदारों को भी अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी मिल सके। उनकी अन्य मांगों में सड़कों का निर्माण और उनके गांवों में शहीदों की प्रतिमाएं लगाना शामिल हैं।
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