– प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने देवास में व्यक्त किए ओजस्वी विचार
देवास। सनातन को लेकर बड़ी चिंता जताई जा रही है। सनातन खतरे में है। सनातन कैसे खतरे में है। सनातन कोई पौधा है, मशीन है क्या ? दुनिया जब समाप्त होगी, ब्रह्मांड जब समाप्त होगा तभी सनातन समाप्त होगा। हम सब मानते हैं जो पैदा हुआ है उसका जाना निश्चित है। हम सबको जाना है। सनातन कब पैदा हुआ.. इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति के साथ ही सनातन है। जब तक यह ब्रह्मांड रहेगा, तब तक यह सनातन रहेगा। दुनिया की कोई ताकत उसका कुछ नहीं कर सकती।
यह ओजस्वी विचार प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने रविवार को देवास के गोकुल धाम गार्डन में वीर बलिदानी सुनील जोशी के बलिदान दिवस पर संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि जिन लोगों ने मुझे यहां बुलाने का साहस किया है उन्हें धन्यवाद। देवास में इतनी बड़ी संख्या में लोग यहां बैठे हैं यही सबसे बड़ा बदलाव है। इस ठंड में आपका यहां बैठना, शत्रु इसी से चिंतित है। पूरे देश, दुनिया में जो पागलपन हो रहा है। ऐसा नहीं है, कि आपको पहले नहीं पता था, आपने सोच लिया था कि उनको जवाब देना किसी ओर का काम है, उनके बारे में बात करना किसी ओर का काम है।
समाज कभी बहादुर के साथ नहीं खड़ा रहा- शत्रु है कौन? एक आंतरिक है और एक बाहरी है। हम शत्रु की परिभाषा को भी अपने स्वार्थों के हिसाब से परिभाषित करते हैं। इसलिए चाहे वीर सावरकर रहे हो, भगतसिंह रहे हो, सुखदेव रहे हो, सुभाषचंद्र बोस रहे हो, सरदार पटेल रहे हो, ये समाज कभी बहादुर के साथ नहीं खड़ा रहा। उसकी तारीफ तो करेगा अकेले में, लेकिन मंच पर नहीं करेगा, नफा-नुकसान देखते हैं। आप देखे कि पहली बार इस भारत में लोग बहादुर के साथ खड़ा होना सीख गए हैं। मैं आज भी मानता हूं कि जिस दिन सनातनी हिंदू झूठ सुनना और झूठ बोलना बंद कर देगा, पूरी दुनिया में कोई ऐसी बड़ी से बड़ी ताकत नहीं है जो आपके सामने ना झुके।
उन्होंने कहा, कि हम जीवन जीने के लिए सुबह उठते हैं। रात तक समझौता-समझौता इसके अलावा कुछ करते ही नहीं है। इसमें अपने बीच में से भी कोई बहादुर निकलता है, उसकी चर्चा करने से घबराते हैं, इसलिए सच सुनने की हिम्मत बहुत देर से आई है।
उन्होंने समाज को जाग्रत करते हुए कहा, कि डर के कारण कभी-कभी अपना नाम बताने से डरते हैं, यह मत कीजिएंगा। अगर आप इस बात से डरे कि हमारी जान चली जाएगी, यह डर क्यो है। हम 70 साल के कालखंड को ले ले तो सबने हमको डराया है। सड़क पर चलते-चलते राहू-केतु से डर लगता है, उस डर ने हमको सच बोलने से दूर कर दिया है।
उन्होंने कहा, कि पूरी दुनिया में भारत ऐसा देश है जहां समाज तय नहीं करता है कि सत्ता को क्या करना है, सत्ता तय करती है कि आपको क्या करना है।
उन्होंने कहा, कि मंच पर खड़े होकर ताली बजवाना, अच्छी-अच्छी बाते कहना, बहुत आसान काम है। मैं उसके लिए नहीं बना। अगर इस सभा का कोई व्यक्ति दूसरी सभा में पहुंचे और कहे कि आपने देवास में यह बात झूठ कही थी, तथ्यों पर जो भी साबित कर देगा वह मेरी आखरी मंच होगी। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, कि आपके बीच में कितने ताकतवर लोग बैठे हैं। मैं जब मंच पर आ जाता हूं तो आयोजकों का भी नहीं होता हूं। मंच पर जो तीन-चार लोग बैठे हैं इन्हें मेरे जाने के बाद पुरस्कार दीजिएं।
उन्होंने कहा, कि मैं पैसे लेकर नहीं बाेलता हूं। यहां खड़े होकर कुछ और होता हूं। जो भी शक्ति मुझसे करवा रही है, उसने इसीलिए खड़ा किया है कि मुझे सच बोलना है। बिना ओरिजनल सोर्स के मैं मंच पर जाता ही नहीं हूं। झूठ समाज का कोई भी वर्ग बोले वह खतरनाक होता है।
उन्होंने कहा, कि हमारे संस्कार, आस्था, संस्कृति, मान्यता हमें यह बताती है कि मंदिर की भूमि पूजा होती है और एक साधारण सा पत्थर चाहे शिप्रा का हो या गंगा नदी का। जब तक मंदिर से बाहर है, वह पत्थर होता है। हमारी फिलोसिफी है, यह 1947 में हमारे पिताजी ने नहीं दी थी। यह फिलोसिफी अनंत काल से है। हम शास्त्रों के हिसाब से, मंत्रों के उच्चारण से उस पत्थर के अंदर प्राण प्रतिष्ठा करते हैं। यह मानते हैं कि इस पत्थर में प्राण प्रतिष्ठित हो गए हैं तब मंदिर में उसे पूजते हैं।
उन्होंने कहा, कि पार्टी के लोगों के बारे में मेरा कोई अच्छा ख्याल नहीं है। देश के प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजयेपी व गुजरात के मुख्यमंत्री पं. नरेंद्र मोदी। मैं राजनीतिक दृष्टि से दोनों को ही पंडित मानता हूं। अटलजी गुजरात गए। उस पर पूरे देश की निगाह थी। वे प्रेस कान्फ्रेस कर रहे थे। उसमें कहा उस प्रदेश के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से कि राजधर्म का पालन कीजिएं, बाकी लोग खुश हुए कि मोदी को सुना दी। मोदी ने सुना दिया, कि राष्ट्रधर्म ही कर रहे हैं। वे दोनों ही ठीक है। राष्ट्र धर्म कहता है अपना कर्तव्य पूरा करों। दोनों में खूबसूरत ट्यूनिंग थी। तब से इस देश में राष्ट्र धर्म की परिभाषा बदल दी।
उन्होंने कहा, कि हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि सरकार हमें लाकर दे। राजा का काम नहीं है कि वह मंदिर बनाएं। मंदिर चलाने की जिम्मेदारी पंडित जी की है, कि राजा की। पूजा कब, कैसे होगी इसकी जवाबदारी पुजारी की है। यह दुनिया का एक ऐसा समाज है कि इसमें हमारी परंपराओं की, आस्थाओं की, सरोकारों की रक्षा सरकार करें, पुलिस करें। इसी भ्रम के कारण आपको यह लगता है कि पुलिस हमारी है, सेना हमारी है। यह सब देश के सत्ता के चलाने के इंस्ट्रूमेंट है। हम राष्ट्र की चिंता करें। न तो राष्ट्र की परिभाषा पता है, ना देश की। देश किसे कहते हैं भूमि के टुकड़े को। उसकी सीमाओं की रक्षा के लिए सेना है, आंतरिक हिस्से की रक्षा के लिए पुलिस है, न्यायपालिका है।
उन्होंने कहा, कि राष्ट्र किसी सीमा में नहीं होता। देश टूटता है, राष्ट्र कभी नहीं टूटता। राष्ट्र जीवन है, निरंतर चलता है। अगर कोई पुजारी अमेरिका के मंदिर में विधिविधान से पूजा करता है तो राष्ट्र जिंदा है।
एक महीने की बिजली, दो रुपए किलो चावल-उन्होंने कहा, कि जब राष्ट्र दो रुपए किलो चावल और एक महीने की बिजली में बिकने लगे तो माफ कीजिएं आपका पतन तय है। आप दुनिया में इतने सस्ते हो क्या…, एक राष्ट्र के रूप में, एक सनातनी के रूप में दो कौड़ी के नेता आपको दो रुपए किलो चावल और एक महीने की बिजली फ्री में देते हैं। कोई और बिकता है क्या। आप बेईमान है, वह चावल लेता है.. नहीं लेता है, लेकिन वोट वहीं देता है जहां देना होता है। उसका इमान पक्का है।
उन्होंने कहा, कि कार से उतरकर उस सब्जी वाले से मेमसाब भाव पूछती है। सब्जी लेने के बाद धनिया और मिर्ची फ्री चाहिए उस गरीब आदमी से, वह मिर्च खरीदकर लाया है। आप सोचे कि यह सनातनी हिंदू है, सब्जी बेच रहा है 10 रुपए की जगह 15 रुपए दे दे। मानसिकता क्या है ? फाइव स्टार में चाय पीने के बाद वेटर को 200 रुपए की टिप देंगे प्रतिष्ठा के लिए। अगर सब्जी खरीदने वाले को ज्यादा पैसे दे दिए तो आपकी एक बहुत बड़ी फौज खड़ी हो जाएगी। हम किसी को जोड़ते नहीं है अपने व्यवहार से दूर करते हैं।
खोखले डायलॉग से मजबूत नहीं होगी भारत माता- बहुत बड़ा मकान बनाया और बीस-बीस एसी लगाए लेकिन एसी काे सुधारने के लिए पूरे मोहल्ले में एक भी रामलाल नहीं मिलेगा। आपको अपने व्यक्ति को ताकतवर बनाने की जरूरत होती है, लेकिन नहीं करेंगे। आपने सिर्फ छोड़ना सीखा है जोड़ना नहीं। डॉयलाग में भारत माता की जय, हम सब एक है…जैसे खोखले नारों से भारत माता मजबूत नहीं होने वाली। जो समस्या है उसका समाधान आपके पास है। हमारे बीच में जो बहादुर हुआ उसे अलग कर दिया। 1989 में कश्मीर में नरसंघार हुआ। उसकाे बताने के लिए फिल्म बनाई तब पता लगा।
उन्होंने कहा, कि पूरे पांच साल तक अलग-अलग समाज, जाति के रहो लेकिन पांच साल में एक दिन, एक घंटे का एक मिनट और एक मिनट का तीस सेकंड अपने दिल पर हाथ रखकर पूछना। तीस सेकंड में भी जब बटन दबाना होता है उस समय भी सोचते हैं यह अगड़ा है, यह पिछड़ा है, ब्राह्मण है, ठाकुर है। हम सनातनी होकर भी वोट तीस सेकंड में नहीं दे पाते। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि किसे वोट दो, लेकिन उस समय तो यह सोचो कि वह वोट पांच साल तक हमारी किस्मत तय करेगा। इतिहास में आटा, चावल महंगा-सस्ता होता रहता है। सभ्यता, संस्कृति जिंदा रहती है। इसमें आप यह देखे कि इसने वोट दिया या नहीं, यह नहीं चलता है।
क से कुल्हाड़ी, ग से गधा सीखेंगे क्या बच्चे-
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व की कोई बात नहीं जानता था, सनातन की कोई बात नहीं जानता था उस समय नरसिम्हा राव शिक्षा मंत्री थे आंध्रप्रदेश की सरकार में। एक शिक्षा मंत्री के नाते गए। डायरेक्टर एजुकेशन को बुलाया, सब होमवर्क करके गए, उन्होंने किताब निकाली, वह कम्प्लसरी हिंदी की किताब थी। उस किताब में लिखा था फ से फरसा, ग से गधा। उन्होंने पढ़कर सुनाया डायरेक्टर को। ये नन्हे-मुन्ने बच्चे क से कुल्हाड़ी, ग से गधा सीखेंगे तो इनके मन में कुल्हाड़ी और गधे की ही इमेज बनेगी, क्योंकि ये छोटे मन-मस्तिष्क के हैं। आकृति अभी बना दोंगे तो वो जीवनभर तक रहेगी। उन्होंने डायरेक्टर एजुकेशन को खड़े होकर आशीष दिया और अ से शुरू किया जितने भी देवी-देवताओं के नाम थे स सरस्वती, ल से लक्ष्मी, ग से गणेश करके खतम कर दी कहानी। ऐसे पनपती है चीजें।
यह सनातनी सभ्यता के पुर्नस्थापना का दौर है-
उन्होंने कहा, कि यह सनातनी सभ्यता के पुर्नस्थापना का दौर है। हमारे सनातन की जड़ मां है। जिस समाज में मां-बेटी दुखी होने लगे, उस समाज का हंड्रेड पर्सेंट पतन होने वाला है। नेताजी आ गए, हम नेता के पैर छुने में लगे हैं, यह चाटुकारिता है। हमारी सभ्यता में पहले ही कहा कि मां के अलावा किसी के पैर नहीं छुए जाते। किसी बड़े का सम्मान जरूर करे, आदरपूर्वक झुककर प्रणाम करें, लेकिन पैर सिर्फ मां के छुए जाते हैं। इसलिए छुए जाते हैं कि जिस मां ने आपको नौ महीने गर्भ में रखा। आपके शरीर की बनावट उसके अंगों से हुई है। पैर पर दोनों हाथों रखे और तीस सेकंड तक हाथ रखें। मां के शरीर की एनर्जी जो थर्मल पॉवर है, उसकी एनर्जी आप में आ जाएगी। मां-बेटियों का सम्मान करों।
उन्होंने कहा, कि कृष्ण भगवान ने इतिहास रच दिया। उसे हमने क्या बनाया माखन चोर, गोपियों के कपड़े चुराने वाला। किसी ने कहा महाभारत घर में मत रखो महाभारत हो जाती है। आपका शत्रु कितना शार्प है कि जो-जो चीजे आपके अंदर पुरुषार्थ पैदा कर सकती है, आपके होने का अहसास करा सकती है, उसने नरेटिव सेट कर दिया। भगवान कृष्ण ने जब समय आया तब साफ-साफ कहा हे! अर्जुन यह धर्म और अधर्म की लड़ाई है। अधिर्मियों के साथ तेरे अपने भी खड़े हैं तब भी तेरा धर्म है बाण उठा और इनका नाश करों।
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