क्रोध बुद्धि का हरण कर लेता है और हम गलत काम कर बैठते हैं- आचार्य अनिल शर्मा

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देवास। जिस प्रकार से प्रभु श्रीराम सीताजी का हरण होने के बाद भी हमेशा मर्यादाशील बने रहे, संयमित बने रहे, वैसे ही हमें जीवन में चाहे कोई भी परिस्थिति आ जाए संयमित व विवेकशील होकर आचरण करना है। जीवन में बड़ी से बड़ी विपत्ति आए कभी संयम नहीं खोना चाहिए। कभी क्रोध नहीं करना चाहिए, क्योंकि क्रोध बुद्धि का हरण कर लेता है। बुद्धि को खा जाता है और मनुष्य न चाहते हुए भी गलत काम कर बैठता है।

यह विचार खाटू श्याम महिला समिति चाणक्यपुरी एक्सटेंशन द्वारा चंद्रेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीराम कथा के पांचवें दिन व्यासपीठ से आचार्य अनिल शर्मा आसेर वाले ने व्यक्त किए। आचार्यश्री ने कहा, कि रावण क्रोध रूपी अग्नि में जल रहा था, इसलिए स्वयं के साथ-साथ पूरी लंका को भी जला दिया। अगर चूल्हे की अग्नि चूल्हे में तक ही सीमित रहे तो रोटी आसानी से सेक सकते हैं। अगर अग्नि चूल्हे से बाहर फैल गई तो रोटी नहीं सेक सकते। हमारे हाथ जल जाएंगे। घर में भी आग लग सकती है। वैसे ही हमारे जीवन में भी है अगर क्रोध ज्यादा हो गया तो वह विनाश का ही कारण होता है। इसलिए क्रोध में ज्ञान का दीपक जलाओ।
उन्होंने कहा, कि बुद्धि से तृष्णा को और मन में बढ़ रही वासना को मारना है तो विवेक रूपी धनुष का उपयोग करना पड़ेगा। प्रत्येक मनुष्य प्रभु श्रीराम से ऐसी विनती करें कि हमारे परिवार की बुद्धि धर्म के मार्ग पर लगी रहे। आपकी दृढ़ भक्ति और मर्यादा प्राप्त हो। प्रभु श्रीराम जैसी मर्यादा हो ऐसी संतान हमारे परिवार में जन्मे। समस्त योनियों में, समस्त जन्मों में भगवान का प्यारा बनूं, हमारे कूल में प्रेम जागृत हो। हम किसी से ईष्र्या न करें और सदा आपकी भक्ति में लगे रहे। जीवन में कई ऐसे भी संकट आते हैं, जिसमें हमें हारना जरूरी हो तो हार जाए क्योंकि उस हार में भी हमारी जीत छुपी होती है। इस दौरान धर्मप्रेमियों अशोक पोरवाल, भजन गायक कैलाश दुबे, वाल्मीकिजी, दिनेश सिंह, चिंतामन जोशी, जितेंद्र जोशी, सुरेश जायसवाल, ऊंकारलाल चौधरी, संतोष पटेल ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर आचार्य श्री शर्मा का पुष्पमाला एवं गले में भगवा दुपट्टा डालकर अभिनंदन किया। सैकड़ों महिला-पुरुष धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक आयोजित की जा रही है।

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