स्वयं शिक्षक अपने ज्ञान को बढ़ाएं, इसके लिए सद् साहित्य का अध्ययन करें

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  • गायत्री शक्तिपीठ पर आयोजित शिक्षक जागरण शिविर में शिक्षा आंदोलन के प्रदेश प्रभारी श्रीकृष्ण शर्मा ने कहा

देवास। आज समाज को शिक्षकों के ज्ञान की अनिवार्य आवश्यकता है और ऐसे ज्ञान की, जो समाज को सही दिशा प्रदान कर सके। इसके लिए स्वयं शिक्षक को भी सबसे पहले अपने आंतरिक, व्यवहारिक, बौद्धिक एवं सांस्कृतिक ज्ञान को बढ़ाना पड़ेगा और इसके लिए निरंतर गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्यजी के सद साहित्य का अध्ययन करना चाहिए।

गायत्री शक्तिपीठ साकेतनगर में आयोजित शिक्षक जागरण शिविर में यह विचार शिक्षा आंदोलन के प्रदेश प्रभारी श्रीकृष्ण शर्मा इंदौर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि समाज में सबसे बड़ा और उपकारी स्थान शिक्षक का है और उसकी गरिमा को हर हाल में बनाए रखना भी शिक्षक का ही दायित्व है। आज धीरे-धीरे शिक्षकों की गरिमा का ह्रास जरूर हुआ है लेकिन बिल्कुल खत्म नहीं हुई है। अब हम सबको मिलकर नवयुग के निर्माण में जुटना है। आने वाली पीढ़ी जो स्कूल, कालेज में अध्ययनरत हैं, उन्हें सुसंस्कारित करना जरूरी है। इंदौर उपजोन प्रभारी जेपी यादव ने कहा, कि गायत्री परिवार द्वारा 100 सूत्रीय अभियान चलाए जा रहे हैं, इसमें हमारी भूमिका अग्रणी होना चाहिए। अपने शिक्षक धर्म का पालन करना चाहिए।

गायत्री परिवार के मीडिया प्रभारी विक्रमसिंह चौधरी ने बताया, कि अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा घोषित सप्त क्रांति आंदोलन के अंतर्गत शिक्षा आंदोलन प्रमुख है। इस अभियान को गति देने के लिए गायत्री शक्तिपीठ साकेत नगर में देवास शहर के कई प्रतिभावान शिक्षकों की उपस्थिति में शिक्षक जागरण शिविर का आयोजन किया गया।

आयोजन में शिक्षक सरिता पाटीदार, रमेश नागर, दिलीप सोलंकी, रमेशचंद्र मोदी, केशव पटेल, गणेशचंद्र व्यास, हजारीलाल चौहान, रामनिवास कुशवाह एवं महेंद्र राठौड़ का विशेष योगदान रहा। इस अवसर पर सुनिता खाबिया, शिवचरण भटुनिया, साधना गुप्ता, रामप्रसाद खराड़िया, डॉ. नीलू दुबे, संतोष शर्मा, मीना खत्री, रमेशचंद्र जोशी, विकास चौहान, नवलसिंह पवार सहित कई शिक्षक उपस्थित रहे। संचालन जिला समन्वयक महेश आचार्य ने किया। आभार युवा समन्वयक प्रमोद निहाले ने माना।

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