टोंकखुर्द (नन्नु पटेल)। लोग समय को दोष देते हैं, कि समय बहुत खराब आ गया। स्वामी सत्यानंदजी महाराज ने कहा है, कि समय नहीं बिगड़ा हमारा संग बिगड़ा है। सत्संग की जगह कुसंग ने ले ली है। इसी कारण लोगों की बुद्धि विकृत हो गई है।
यह विचार ग्राम चौबाराधीरा में आयोजित एक दिवसीय अमृतवाणी सत्संग में श्री राम शरणम् आश्रम देवास के इंद्रसिंह नागर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कई लोग हैं, जिन्होंने कुछ किताबें पढ़ ली, एन-केन प्रकारेण पैसा कमा लिया, वे कहते हैं कि भजन-सत्संग की क्या जरूरत है। यह सब ढोंग है। हम तो पाप करते ही नहीं भजन-सत्संग वह करें, जिन्होंने पाप किया हो। उन्हें पता नहीं कि पाप ताप होता क्या है। चौरासी लाख योनियां कैसे कटी है। ऐसे लोग भ्रान्ति, भूल और अभिमान में जी रहे हैं।सत्संग हमारे जीवन को उज्ज्वल बना देता है। धर्म का सार भर देता है, इसलिए जितना हो सके अपने दैनिक जीवन में नित्य अध्यात्म के लिए समय निकालें। उन्होंने कहा कि अपनी संतान को अपने देश, धर्म और शास्त्र के बारे में बताएं। जीवन का सबसे बड़ा सत्कर्म है, हमारी परंपरा, संस्कृति और संस्कारों का दान तथा दूसरों के जीवन में उमंग, उत्साह भरना और देश प्रेम जगाना।
कार्यक्रम में अमृतवाणी पाठ, नमिता सिरके व नागरजी के भजनों से श्रोता झूम उठे। आयोजन राधा बहन ने करवाया। आभार श्री मंत्री ने माना। जानकारी श्री राम शरणम् के प्रदेश प्रचारक डॉ. सुरेश गुर्जर ने दी।
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