पर्यटन

वन्य प्राणी अभ्यारण्य खिवनी स्थापना दिवस 24 दिसंबर विशेष

  • मध्यप्रदेश इको टूरिज्म की साइट पर बुकिंग कर अभ्यारण में प्रकृति के अनुभव का ले सकते हैं आनंद

देवास। जिले के अंतिम छोर पर स्थित 134.77 वर्ग किमी में फैला एक ऐसा जंगल जो कि न केवल भारत के राष्ट्रीय पशु एवं टाइगर स्टेट के द्योतक बाघ का प्राकृतिक आवास है, बल्कि अपने में तेंदुआ, भालू, लक्कड़बग्घा, लोमड़ी जैसे कई मांसाहारी एवं चीतल, सांभर, नील गाय, चौसिंगा, जंगली सूअर आदि शाकाहारी वन्य प्राणियों को भी प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराता है।

मालवा के पठार एवं विंध्याचल पर्वतमाला के मध्य बसा यह अभ्यारण देवास एवं सीहोर जिले में फैला हुआ है तथा मां नर्मदा की सहायक नदियों जामनेर व बालगंगा नदी का उद्गम स्थल भी है। वन्य प्राणी अभ्यारण्य की स्थापना वर्ष 1955 में मध्यप्रदेश के गठन के पूर्व तत्कालीन होलकर शासकों द्वारा वन्य प्राणी संरक्षण के उद्देश्य से की थी। वर्ष 1955 में जारी प्रथम अधिसूचना के अनुसार यह मध्यप्रदेश का प्रथम अधिसूचित अभ्यारण है। अभ्यारण में पर्यटकों के ठहरने एवं सफारी के लिए मध्यप्रदेश इको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा कॉटेज एवं सफारी वाहन की व्यवस्था की गई है, साथ ही स्थानीय इको विकास समिति द्वारा पर्यटकों के लिए भोजन एवं नाश्ते की व्यवस्था की जाती है। मध्यप्रदेश इको टूरिज्म की साइट https://ecotourism.mponline.gov.in/पर एमपी ऑनलाइन या स्वयं के मोबाइल/लैपटॉप से भी बुकिंग कर अभ्यारण में प्रकृति के अनुभव का आनंद लिया जा सकता है।

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