धर्म-अध्यात्म

महारास लीला से जीव और परमात्मा का होता है मिलन

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बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने लीला की थी, जिससे समस्त गोकुलवासी सुखी एवं संपन्न हुए।

महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। रास तो जीव के शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं, काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्ण सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया, लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा।

यदुवंशीय यादव धर्मशाला में भागवत कथा के दौरान मेघा शर्मा ने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में श्रेष्ठतम रास लीला का वर्णन करते हुए ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि रासलीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। जब जीव में अभिमान आता है तो भगवान उससे दूर हो जाते हैं, लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में राेता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते हैं, उसे दर्शन देते हैं।

श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह प्रसंग की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा, कि रुक्मणि साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती। यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक, नहीं तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मीनारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उसे भगवान की कृपा स्वत: ही प्राप्त हो जाती है। कथा के दौरान मेघा शर्मा ने भजन प्रस्तुत किए। भजनों पर भक्त भाव-विभोर होकर नृत्य करने लगे।

व्यासपीठ का पूजन आरती का लाभ भाजपा जटाशंकर मंडल अध्यक्ष गोविंद यादव धर्मपत्नी मंजू यादव, पंकज पूजा यादव, देवेश निकिता यादव ने लिया। भागवत कथा में श्रद्धालु देवकरण यादव, शेरसिंह यादव, राजेश यादव, रोशन यादव, रोहित यादव, कन्हैयालाल यादव, विष्णु यादव, शांतिलाल यादव, मनोहरलाल यादव, राधेश्याम कामदार, दयाराम यादव, रामेश्वर यादव, शिवलाल यादव, हरि नारायण यादव, अमृतलाल यादव, मोहन पटेल, परसराम यादव, जगदीश, मूलचंद, धन्नालाल आदि का विशेष सहयोग प्राप्त हो रहा है।

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