– भंडारण की सुविधा के अभाव में ओने-पौने दाम में बेचनी पड़ रही उपज
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। मालवा अंचल के बेहरी क्षेत्र में इन दिनों खेतों में प्याज की फसल की खूब हलचल है। खेतों से प्याज निकालने का कार्य जोर-शोर से जारी है। बड़ी संख्या में किसानों ने इस बार प्याज की खेती की है, और अब फसल तैयार होने पर इसे निकालने में मजदूर जुटे हैं।
गर्मी की तीव्रता और दोपहरी की तपन के बावजूद खेतों में मजदूरों का उत्साह कम नहीं हो रहा है। सिर पर गमछा और हाथ में फावड़ा लिए महिलाएं और पुरुष खेतों में पसीना बहा रहे हैं। खेतों से प्याज निकालने के बाद 8 से 10 दिन के लिए भट्टी लगाई जाएगी, ताकि उसकी गुणवत्ता बनी रहे और 6 माह से 8 माह तक खराब ना हो।
यहां उत्पादित प्याज न केवल स्थानीय मंडियों में, बल्कि इंदौर, उज्जैन, देवास मंदसौर, नीमच, हरदा जैसे आसपास के बड़े शहरों में भी भेजा जा रहा है। गर्मी के मौसम में प्याज की खपत और मांग दोनों ही बढ़ जाती हैं, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है।
किसान गब्बूलाल पाटीदार, रामचंद्र दांगी, श्रीराम पाटीदार, त्रिलोक पाटीदार, महेंद्र दांगी, शिवनारायण पाटीदार, त्रिलोक पाटीदार, सुरेश पटेल, पवन पाटीदार आदि किसानों ने बताया कि इस वर्ष मौसम ने साथ दिया, और उपज भी अच्छी हुई है। हालांकि लागत बढ़ने और मजदूरी महंगी होने की वजह से चुनौतियां भी कम नहीं हैं। बावजूद इसके, प्याज की अच्छी कीमत मिलने की आशा में किसान और मजदूर दोनों ही पूरी लगन से जुटे हुए हैं।
गर्मी के मौसम में प्याज की खपत बढ़ने से मांग भी अच्छी बनी हुई है, लेकिन इसके बावजूद किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
किसान केदार पाटीदार ने बताया कि स्थानीय स्तर पर प्याज भंडारण की व्यवस्था न होने के कारण किसानों को मजबूरी में फसल तुरंत बेचनी पड़ रही है। गर्मी के कारण प्याज अधिक दिनों तक खुले में नहीं रखा जा सकता, जिससे उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है। भंडारगृह न होने के चलते किसान उसे मंडी में तत्काल ले जाकर बेचने के लिए विवश हैं, चाहे भाव अच्छे मिलें या नहीं।
भोजराज दांगी, रूप सिंह सेठ, दुर्गेश शेरा, विक्रमसिंह भगत का कहना है, कि बड़े किसानों के पास भंडारण की व्यवस्था है, पर छोटे किसान मजबूरी में इसे बेच रहे हैं। यदि क्षेत्र में प्याज के लिए कोई भंडारण सुविधा हो तो वे उपज को संभालकर अच्छे दाम मिलने तक रख सकते हैं। इस कमी के कारण उन्हें कई बार औने-पौने दामों में अपनी मेहनत की उपज बेचनी पड़ती है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बेहरी और आसपास के इलाकों में प्याज उत्पादन बढ़ रहा है, ऐसे में प्रशासन या सहकारी संस्थाओं द्वारा भंडारण केंद्र की स्थापना की जानी चाहिए।
