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    लंदन में एक समोसा या चाय की कीमत जानकर हो जाएंगे हैरान

    ByNews Desk

    Mar 14, 2025
    London
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    आज की बात:

    जब हम लंदन या किसी भी विदेशी शहर में चीजों की कीमत रुपए में बदलकर देखते हैं, तो हर चीज महंगी लगती है। मसाला चाय, समोसा, या मल्टीप्लेक्स में कोक- हर आइटम की कीमत भारतीय नजरिए से चौंका सकती है। लेकिन जब वही कीमत वहां की मुद्रा और आमदनी के हिसाब से देखें, तो यह आम जिंदगी का हिस्सा लगती है।

    इस लेख में लंदन के रोजमर्रा के सामानों की कीमत, वहां की जीवनशैली, कमाई और खर्च का तुलनात्मक नजरिया दिया गया है। साथ ही, एक महत्वपूर्ण सीख भी- विदेश यात्रा के दौरान वहां की मुद्रा को रुपए से तुलना करने की बजाय, उनकी आमदनी और खर्च के हिसाब से चीजों को देखने का नजरिया अपनाना ज्यादा समझदारी भरा होता है।

    एक बार किसी ने पूछा था कि एम्सटर्डम और लंदन में विभिन्न आइटम के क्या रेट हैं। एक पाउंड लगभग 115 रुपए के बराबर होता है। तो यहां लंदन के मैं कुछ सामान के पाउंड में रेट दे रहा हूँ – मसाला चाय 1.75 इडली सांबर 5.00 बड़ा पाव 2.00 दो समोसा 4.50 मल्टीप्लेक्स में कोक 9.7 360 ग्राम टमाटर 1 पाउंड 2 खीरा 1.80 6 सेब 3.30 1 किलोग्राम दही 2.20 5 केला 1.40 अगर उक्त राशि पाउंड को रुपए में बदला जाता है तो सभी वस्तुएँ काफी मंहगी प्रतीत होती हैं। लेकिन यहां के लोग पाउंड में कमाते हैं। साधारण मिस्त्री भी 1-डेढ़ घंटे के काम का 100 पाउंड मजदूरी लेता है। तो यहां रहकर कमाने खाने वाले के लिए यह सब कतई मंहगा नहीं होता है। चूंकि हमारे रुपए की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई अच्छी कीमत नहीं है, इसलिए हमारे लिए यह सब बेहद मंहगा लगता है।

    लंदन में सामान्यतः मैं ही मार्केट से सामान खरीद ले आता हूँ। बेटे बहु आफिस में व्यस्त रहते हैं और मैं रोजाना दोपहर का खाना खाकर घूमने जाया करता हूँ। इस दौरान मार्केट से जरूरी सामान भी खरीद लिया करता हूँ।

    वैसे नामी-गिरामी कंपनियों के मोबाइल, जूते, कपड़े आदि पूरी दुनिया में एक ही रेट पर मिलते हैं। लेकिन इसमें मेरा यह अनुभव है कि हमारे देश में नामी-गिरामी कंपनियों का सामान भी दोयम दर्जे का होता है। वही सामान अमेरिका, यूके, यूरोप या अन्य विकसित देशों से खरीदने पर ज्यादा अच्छी क्वालिटी का मिलता है।

    मेरा मानना है, कि हम जिस देश में जाएं उस देश की मुद्रा का कभी रुपए से तुलना न करें। अगर रुपए से तुलना करेंगे तो न कभी कुछ खरीद पाएंगे और न ही मार्केट या मॉल में कुछ खा पी पाएंगे। अमेरिका में तो जब 2010 में मिड केरियर ट्रैनिंग में न्यूयार्क गया था।

    तब बेटे ने साफ कहा था कि होटल में खाने-पीने में भारतीय रुपया से कभी तुलना मत करना और हमेशा 10% टिप जरूर देना। तब हमें प्रति दिन 90 डालर डीए मिलता था। तो तब से ही जब मैं बाहर जाता हूँ तो इतनी राशि लेकर चलता हूँ, कि कहीं खाने-पीने में कंजूसी न बरतना पड़े।

    Ashok baroniya