जो धन परिश्रम से कमाया है, वही फलता है- भागवत भूषण पं. शास्त्री

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bhagvat katha

  • राधाकृष्ण में सारा संसार समाया हुआ है
  • आओ सखियों मुझे मेहंदी लगा दो, मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो… की भावपूर्ण प्रस्तुति पर झूम उठे श्रद्धालु

देवास। राधाकृष्ण में सारा संसार समाया हुआ है। आनंद के धाम हैं। भगवान को सच्चे भाव से याद करते हैं, वे दौड़े चले आते हैं। कंस भी भगवान श्रीकृष्ण को मन से याद करता था। उठते-बैठते सोते जागते नींद नहीं आती थी। जब तक नींद नहीं आती तब तक वह कन्हैया का ही चिंतन करता रहता था।

यह विचार मेंढकीचक तालाब क्षेत्र स्थित शिव मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यासपीठ से भागवत भूषण पं. आशुतोष शास्त्री ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा, कि भगवान श्रीकृष्ण ने साढ़े ग्यारह वर्ष की आयु में संसार की सभी लीलाओं को पूर्ण कर दिया। कृष्ण हमारी देह के प्राण हैं। जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी सांसारिक लीला कर परमधाम जाने लगे तब गोपियों का रो-रोकर बुरा हाल था। गोपियों ने कहा, कि कन्हैया! हमें छोड़ कर मत जाओ। गोपियों ने कन्हैया के चरणों की धूल को अपने पास रख लिया और कहा कि हमारे लिए वापस लौटकर जरूर आना। इस दौरान पं. शास्त्री ने आओ सखियों मुझे मेहंदी लगा दो, मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो, ऐसी रंगों हो गुरुदेव या चुनर म्हारी ऐसी रंगो हो गुरुदेव… जैसे एक से बढ़कर एक भक्ति गीतों की भावपूर्ण प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु झूमने लगे।

उन्होंने आगे कि जिस इंसान को गड़ा हुआ धन मिल जाता है तो ऐसा इंसान कभी सुखी नहीं रह सकता। ऐसा धन फलता नहीं है। जो धन परिश्रम से कमाया है, वही धन फलता है। इसलिए कभी भी ऐसे धन के पीछे नहीं भागे। भगवान भक्तों के लिए संसारियों को उपदेश देने के लिए लीला करते हैं। कथा में श्रीकृष्ण-रुक्मिणि विवाह बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया एक दूसरे को हल्दी लगाकर माता-बहनों द्वारा मंगल गीत गाए गए। आयोजक महिला मंडल व अतिथियों द्वारा व्यासपीठ की पूजा-अर्चना कर महाआरती की गई। सैकड़ों धर्मप्रेमियों ने कथा श्रवण कर धर्म लाभ लिया।

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