उसने पूछा सफर अहम है या मंजिल …मैंने कहा साथ

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जब भी जीवन में मौका मिले साथ जरूर दीजिए

जिंदगी में हम सभी किसी न किसी मंजिल की तलाश में रहते हैं। मंजिल के लिए सफर तो करना ही पड़ता है। सफर की शुरुआत और मंजिल पाने के बीच में जो फासला होता है या जो वक्त बिताना होता है वह सबके लिए अलग-अलग होता है। कोई सफर में अकेला चलता है और मंजिल तक कारवां बन जाता है।

कोई कारवां लेकर चलता है मंजिल तक अकेला रह जाता है। सबकी अपनी-अपनी कहानी होती है। सफर से मंजिल तक महत्वपूर्ण होता है साथ। यदि मुकम्मल साथ है तो कितना ही कठिन सफर हो मंजिल तक पहुंचा ही देता है। सफर से मंजिल के बीच में जो कुछ भी है वह साथ ही है। यदि साथ सच्चा है तो स्थिति कैसी भी हो कोई फर्क नहीं पड़ता। सफर कितना ही लंबा हो कट जाता है। फिर मंजिल की फिक्र नहीं रहती कि कब मिलेगी क्योंकि जो साथ का सुकून है उसका आनंद ही अलग है। साथ देना और साथ पाना बहुत किस्मत वालों को मिलता है। जिंदगी में जब भी मौका मिले साथ जरूर देना चाहिए, क्योंकि आपके साथ से किसी का सफर मंजिल तक पहुंच जाता है। किसी का साथ देने का जो जज्बा है वह इंसान को बहुत अच्छा बना देता है।

भक्त के साथ में होती है ईश्वर प्रति उसकी अपार श्रद्धा, जो उसको ईश्वर की शरण में ले जाती है। घनी अंधेरी रात में तारे साथ देते हैं चांद का और इनके साथ के कारण ही रात भी बहुत सुहानी लगती है। मेहनत का साथ देती है हिम्मत और इस हिम्मत के साथ के कारण ही वह मेहनत सफलता में बदल जाती है। सपने का साथ देता है उसको पूरा करने का परिश्रम और यही साथ उसे सपने को साकार कर देता है।

जमीन के अंदर डाले गए बीज का साथ देता है उसको अंकुरित होने का जज्बा और यही साथ एक बड़े वृक्ष में बदल जाता है। विद्यार्थी का साथ देता है उसके गुरु का मार्गदर्शन और उसकी कड़ी मेहनत और इनके साथ के कारण ही वह अपनी परीक्षा में सफल हो जाता है, इसलिए न सफर अहम है ना मंजिल सबसे महत्वपूर्ण है साथ। इसलिए आपको भी जब भी जीवन में मौका मिले साथ जरूर दीजिए।

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