राजनीति

सरकार हुई असफल, अब चिकित्सालय होंगे निजी हाथों में- कांग्रेस

Share

Doctors

देवास। प्रदेश सरकार अनेक ऐसे आश्चर्यजनक निर्णय ले रही है, जो आम नागरिकों की समझ से परे है। जिन योजनाओं के क्रियान्वयन में सरकार असफल होती है, उन्हें निजी हाथों में सौंप देती है। अब सरकार ने निर्णय लिया है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं निजी हाथों में होगी।

यह आरोप लगाते हुए शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी व कार्यकारी अध्यक्ष प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने बताया कि आजादी से लेकर आज तक सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन सरकार के हाथों में रहा है। फिर हम बात करें राज्य सरकार की या केंद्र सरकार की, दोनों ही सरकार की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को लेकर प्रयास किए गए हैं। अब कहा जा रहा है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के हाल बेहद खराब है। कर्मचारियों एवं डॉक्टर की कमी से चिकित्सालय जूझ रहे हैं। इस वजह से बीमार पड़ने पर प्रदेशवासियों को निजी चिकित्सालयों पर निर्भर रहना पड़ता है।

इस समस्या के निवारण के लिए सभी सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को आउटसोर्स पर देने की तैयारी है। इसमें डॉक्टर से लेकर आउटसोर्स कर्मचारी निजी कंपनी के होंगे। अस्पताल का प्रबंधन कंपनी करेगी, इसका नियंत्रण चिकित्सा अधिकारी के पास होगा। शुल्क और सुविधाओं का निर्धारण सरकार करेगी।

श्री राजानी व श्री शर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार जिन उपक्रमों के संचालन में असफल साबित होती है उन्हें निजी हाथों में सौंपने का निर्णय ले लेती है। अब राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं को भी निजी हाथों में सौंपेंगे।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रदेश में जगह-जगह बड़े-बड़े हॉस्पिटल बने हैं, जिनमें समय-समय पर रही प्रदेश की सरकारों ने सुविधाएं जुटाई है। अधिकांश हॉस्पिटल आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है, लेकिन कहीं पर विभिन्न रोगों के उपचार हेतु डॉक्टर नहीं है या लगाई गई मशीनों को ऑपरेट करने के लिए कर्मचारी नहीं है। समय रहते अगर इन कमियों को लेकर सरकार प्रयास करती तो आज स्वास्थ्य सुविधाओं को निजी हाथों में सौंपने की नौबत नहीं आती। जब स्वास्थ्य सेवाएं निजी हाथों में चली जाएगी तो इसका असर निश्चित रूप से सामान्य वर्गों के लोगों पर पड़ेगा।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आज इस विश्वास के साथ गरीब लोग सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने के लिए जाते हैं कि उनका उपचार निशुल्क एवं अच्छा हो जाएगा। निश्चित रूप से निजी हाथों में जाने के बाद एक अराजक स्थिति इन चिकित्सालयों में उत्पन्न होगी। नए-नए विवाद होंगे, वही निजी एवं सरकारी चिकित्सालय में कोई फर्क भी नहीं रहेगा। कांग्रेस नेताओं ने कहा, कि सरकार यह भी नहीं समझे कि निजी हाथों में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच जाने से लोगों का भरोसा सरकारी चिकित्सालयों पर बढ़ जाएगा। सरकार के पास शासकीय चिकित्सालयों की व्यवस्था सुचारू रूप से करने के अलावा अन्य कोई विकल्प कारगर नहीं होगा। कांग्रेस ने मांग की है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव स्वास्थ्य सेवाओं को निजी हाथों में सौंपने के पूर्व एक बार अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर लें। हमारा अनुरोध है कि युद्ध स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए कदम उठाए जाएंगे तो निश्चित रूप से स्वास्थ्य सेवाओं को निजी हाथों में देने की नौबत नहीं आएगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button