धर्म-अध्यात्म

जीव का चरम लक्ष्य आंनद की प्राप्ति- धामेश्वरी देवी

श्री राधा गोविंद धाम, गणेश मंदिर में दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला जारी

देवास। श्री राधा गोविंद धाम, गणेश मंदिर में चल रही दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला के दूसरे दिन जगद्गुरु कृपालु महाराज की प्रचारिका धामेश्वरी देवी ने वेद और शास्त्रों के प्रमाण सहित बताया, कि विश्व का प्रत्येक जीव एकमात्र आनंद ही चाहता है। वह आनंद कहां है? कैसे मिलेगा? इसी के लिए अनवरत् प्रयासरत् है, क्योंकि जीव ईश्वर का अंश है। रामायण में भी कहा गया है ‘‘ईश्वर अंश जीव अविनाशी, चेतन अमल सहज सुख राशि।।‘‘ वेदों के अनुसार ‘‘रसो वै सः‘‘ अर्थात ईश्वर ही आनंद है वही रस है, इसीलिए प्रत्येक जीव ईश्वर का सनातन अंश होने के कारण अनादिकाल से आनंद की खोज में लगा हुआ है।

उन्होंने कहा, कि वेद कहते हैं कि विश्व का प्रत्येक जीव आस्तिक है। इस उक्ति को एक उदाहरण के माध्यम से समझाया कि जैसे कोई नवजात शिशु है, वह जन्म लेते ही पहले रोता है क्योंकि जन्म के समय जो कष्ट होता है उसे वह नहीं चाहता इसलिए रोकर उस दुख को दूर करने का प्रयास करता है। ऐसे ही किसी विद्यार्थी से पूछा जाए कि तुम पढ़ाई क्यों कर रहे हो वह कहेगा कि परीक्षा में पास हो जाए, हमारी अच्छी जॉब लग जाए। फिर पूछा जाए इससे तुम्हें क्या मिलेगा? वह कहेगा सुख मिलेगा, खुशी मिलेगी तो यह सब सुख, खुशी, हैप्पीनेस, शांति आदि ईश्वर के ही पर्यायवाची शब्द है। अत: यह निर्विवाद सिद्ध होता है कि हम सभी जीव केवल ईश्वर को ही चाहते हैं, क्योंकि हम प्रतिक्षण सुख पाने की होड़ में लगे हुए हैं, परंतु इसके विपरीत हमारे वेद यह भी बताते हैं, कि विश्व का प्रत्येक जीव नास्तिक है यह महान आश्चर्य है और कैसे हैं? प्रवचन के अंत में श्रीराधा कृष्ण भगवान की आरती हुई, जिसमें समस्त भक्तगणों ने आध्यात्मिक लाभ लिया।

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