नेपाल में भ्रमण के दौरान सबेरे नाश्ता करने के उपरांत पोखरा की ओर रवाना हुए।
यह रास्ता निर्माणाधीन होने से अच्छा नहीं है। काठमांडू से पोखरा करीब ढाई सौ किलोमीटर है, लेकिन पहुंचने में काफी अधिक समय लगता है। मार्ग में मनकामना मंदिर में दर्शन किए।
मंदिर जाने के लिए केबल कार से पहाड़ी की चोटी पर पहुंचना होता है। मनकामना मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और यहां हजारों लोग प्रतिदिन अपनी मनोकामना पूरी करवाने आते हैं। मंदिर दर्शन में करीब तीन घंटे का समय लग जाता है। मंदिर दर्शन के उपरांत हम पोखरा में अपने होटल टीका रिसॉर्ट में पहुंचे।
पोखरा भ्रमण-
पोखरा करीब 1000 मीटर ऊंचाई पर स्थित एक खूबसूरत शहर है। फेवा झील शहर के मध्य में है। यहां से हिमालय की खूबसूरत अन्नपूर्णा पर्वत श्रृंखला दिखाई देती है।
सबेरे साढ़े पांच बजे हम सरांग कोट व्यू पाइंट पर पहुंचे। यहां से बर्फ से ढकी अन्नपूर्णा पीक पर जब सूर्योदय की किरणें पहुंचती हैं तो दृश्य बेहद सुन्दर हो जाता है। यहां से सूर्योदय का दृश्य बेहद मनोरम रहता है। यहां पर हमने फोटोज खींचे।
यहां एक प्रसिद्ध विंध्यवासिनी मंदिर भी है। इसे देखा और लोगों ने यहां पूजा-अर्चना की।
इसके बाद तिब्बती कैंप देखने गए। तिब्बती संस्कृति प्रदर्शित करते हैं यहां के प्रोडक्ट। इसके पश्चात देवीस् जलप्रपात देखा। यह सामान्य था, लेकिन गुप्तेश्वर महादेव गुफा में जाना बेहद रोमांचकारी था। कई जगह छुककर आगे बढ़ सके। गुफा का अंतिम बिंदु जो जमीन में काफी गहराई में था, पहुंचकर जल प्रपात देखना रोमांचक रहा। यहां आक्सीजन भी पर्याप्त नहीं मिल पाती है। यहां वापस ऊपर पहुंचकर भगवान विष्णु की शेषनाग पर लेटी अवस्था की मूर्ति देखी।
– अशोक बरोनिया
वरिष्ठ लेखक एवं चिंतक
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