धर्म-अध्यात्म

हरतालिका तीज व्रत की उपासना कठिन, किंतु है प्रभावशाली – पं. उपाध्याय

बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। आधुनिकता की इस दौड़ में सनातन धर्म और परंपरा का निर्वहन कई रूप में मानव जीवन में सहयोग करता है। इस परंपरा में हरतालिका तीज व्रत भी शामिल है। विगत दिनों कोरोना महामारी में धर्म-कर्म करने वाले और ईश्वर को मानने वाले परिवारों को कहीं ना कहीं ईश्वर का वरदान मिला। हरतालिका तीज व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। ईमानदारी से व्रत करने पर निश्चित ईश्वर का आशीर्वाद और फल मिलता है।
उक्त बातें हरतालिका तीज व्रत पर उपवास धारक महिलाओं के बीच पं. अंतिम उपाध्याय ने कहते हुए बताया, कि सनातन धर्म के हर पर्व को मनाना चाहिए। ईश्वर साक्षात है, उसे कभी भूलना नहीं चाहिए। बेहरी में हरतालिका तीज व्रत हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया। सैकड़ों महिलाओं ने इस व्रत को धारण किया। मां कात्यानी के दरबार में पूजा-अर्चना करते हुए आराध्य देव शिव की पूजा की गई। इस दौरान महिलाओं ने कठिन व्रत रखा और अनेक प्रकार की औषधीय पौधे की पत्तियों व मिट्टी से बनाए भगवान शंकर की पूजा अर्चना देर रात तक की।

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