पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के बच्चों का क्या होगा? सचिन पायलट के दर पर अपनी मांग लेकर पहुंची वीरांगनाएं, पुलिस ने किया दुर्व्यवहार

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ANI

आरोप लगाया गया है कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने विधवाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ पिछले दो साल से ज्यादा समय से अनबन चल रहे सचिन पायलट ने कहा, ‘पुलिस का व्यवहार ठीक नहीं कहा जा सकता।’

2019 के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए राजस्थान के तीन सीआरपीएफ जवानों की विधवाओं को शुक्रवार को कांग्रेस विधायक सचिन पायलट के आवास के बाहर एक विरोध स्थल से हिरासत में लिया गया और स्थानीय पुलिस स्टेशन ले जाया गया। विधवाएं 28 फरवरी से विरोध कर रही हैं और कुछ दिन पहले अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। वे सोमवार से ही पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के जयपुर स्थित आवास के बाहर डेरा डाले हुए थीं। उन्हें आज पुलिस ने धरना स्थल से हटा दिया है।

आरोप लगाया गया है कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने विधवाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ पिछले दो साल से ज्यादा समय से अनबन चल रहे सचिन पायलट ने कहा, ‘पुलिस का व्यवहार ठीक नहीं कहा जा सकता।’

मांगें

सीआरपीएफ के तीन जवानों के परिवार के सदस्य नियमों में बदलाव की मांग करते हैं ताकि अनुकंपा के आधार पर न सिर्फ उनके बच्चों बल्कि उनके रिश्तेदारों को भी सरकारी नौकरी मिल सके।

मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए, अशोक गहलोत ने ट्विटर पर पूछा कि क्या शहीद जवानों के बच्चों के बजाय अन्य रिश्तेदारों को नौकरी देना “उचित” होगा। विधवाओं ने सड़कों के निर्माण और अपने गाँवों में शहीदों की प्रतिमाएँ स्थापित करने की भी माँग की।

गुरुवार को उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार से लिखित आश्वासन मांगा कि उनकी मांगों को माना जाएगा।

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