राष्ट्रीय युवा दिवस पर विशेष: कठिनाई में संघर्ष करते हुए खेती व समाजसेवा के क्षेत्र में पाई सफलता

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dharmendra rajput

  • स्वामी विवेकानंद के विचारों ने किया युवा कृषक धर्मेंद्रसिंह राजपूत को प्रेरित

देवास। स्वामी विवेकानंद ने अपने विचारों और कार्यों से करोड़ों लोगों को प्रेरित किया हैं। उनके सिद्धांत आज भी युवाओं के जीवन को दिशा देने का कार्य कर रहे हैं। इसी प्रेरणा को जीवन का मार्गदर्शक बनाकर ग्राम छोटी चुरलाय के युवा कृषक धर्मेंद्रसिंह राजपूत ने अपने जीवन में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने न केवल कृषि के क्षेत्र में सफलता प्राप्त की, बल्कि समाजसेवा और जनकल्याण में भी अपनी अलग पहचान बनाई है।

धर्मेंद्रसिंह का जीवन कठिन परिस्थितियों में संघर्ष और साहस का प्रतीक है। सिर्फ 6 वर्ष की उम्र में पिता का साया सिर से उठ जाने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। बचपन से ही उन्होंने लक्ष्य तय कर अपने जीवन को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। स्वामी विवेकानंद के विचार उनके लिए जीवन का सहारा बने। उन्होंने खेती और सामाजिक कार्यों के माध्यम से खुद को समाज के लिए उपयोगी बनाया।

कृषि क्षेत्र में योगदान-

धर्मेंद्र सिंह ने पारंपरिक खेती को आधुनिक और जैविक खेती में परिवर्तित कर किसानों को प्रेरित किया। वे स्वयं जैविक खेती में कुशल हैं और दूसरे किसानों को भी जैविक खेती अपनाने के लिए जागरूक करते हैं। वे सरकार द्वारा चलाए जा रहे किसान जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेते रहते हैं। उन्हें उपलब्धियों के लिए प्रदेश और केंद्र स्तर पर सम्मान भी प्राप्त हुए हैं।

वर्ष 2016 में उन्हें राष्ट्रीय संत अवधेशानंद गिरी महाराज और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। कृभको द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडवीया से वर्चुअल चर्चा कर कृषि विकास के सुझाव दिए। समय-समय पर दूरदर्शन और आकाशवाणी के माध्यम से वे किसानों को खेती की नई तकनीकों के बारे में जागरूक कर रहे हैं।

समाजसेवा में उत्कृष्ट कार्य-

धर्मेंद्र सिंह समाज कल्याण के लिए नशा मुक्ति, स्वच्छता अभियान, जल संरक्षण, पौधारोपण और जनस्वास्थ्य जैसे विषयों पर जागरूकता फैला रहे हैं।

लॉकडाउन में सेवा कार्य- कोरोना बीमारी के भयावह दौर में जब लॉकडाउन लगा तो धर्मेंद्र सेवा के क्षेत्र में आगे आए। इस दौरान उन्होंने जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री वितरित की। दवाई, सेनेटाइजर आदि की व्यवस्था भी उन्होंने की।

अन्नक्षेत्र में योगदान- माता टेकरी के अन्नक्षेत्र के लिए उन्होंने 11 हजार रुपये दान दिए और श्रद्धालुओं के लिए विश्राम कुर्सियों की व्यवस्था करवाई।

स्वास्थ्य जागरूकता- पल्स पोलियाे अभियान में धर्मेंद्र का योगदान रहा है। वे बच्चों को पोलियो दवा पिलाने और वैक्सीन के महत्व को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाते रहे।

विवेकानंदजी के विचारों से मिला आत्मबल-

धर्मेंद्रसिंह राजपूत का मानना है, कि स्वामी विवेकानंद के आदर्शों ने जीवन को नई दिशा दी है। विवेकानंदजी के विचारों को आत्मसात करने से मानसिक बल प्राप्त हुआ, कृषि के साथ समाजसेवा की प्रेरणा प्राप्त हुई। धर्मेंद्र का कहना है यदि स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को आत्मसात किया जाए, तो हर चुनौती को पार किया जा सकता है।

प्रेरणा का स्त्रोत-

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि धर्मेंद्र सिंह राजपूत आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। उनका जीवन यह संदेश देता है कि संघर्ष में भी निरंतर कार्य करते हुए सफलता के शिखर तक पहुंचा जा सकता है। उनके कार्य न केवल उनके गांव, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणादायक हैं।

 

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