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गोंदिया. गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है. रबी सीजन की फसलों की सिंचाई भी चल रही है. इससे बिजली की खपत भी बढ़ रही है. बताया जाता है कि महावितरण की ओर से अभी लोडशेडिंग शुरू नहीं हुआ है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से बिना सूचना दिए बिजली आपूर्ति बाधित की जा रही है और यह प्रतिदिन हो रहा है. गर्मी का प्रकोप बढ़ते ही बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है और यह स्थिति जानलेवा बनती जा रही है.
शहर में नियमित बिजली कटौती से स्वास्थ्य सेवा भी प्रभावित हो रही है. हाल ही में बड़े अस्पतालों में उपयोग की जाने वाली प्रणालियां अत्याधुनिक हैं. उन्हें 24 घंटे बिजली चाहिए. लेकिन कई प्रभागों में हर दिन बिना किसी वजह के बिजली चोरी होने के कारण इंटेंसिव केयर यूनिट की व्यवस्थाएं ठप हो जाती हैं. इस वजह से इलाज के दौरान नवजात की हालत गंभीर होने और जान को खतरा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. अन्य दिनों की तरह रविवार को भी अक्सर बिजली आपूर्ति बाधित रहती है, ऐसे में कर्मचारियों सहित कई लोगों की योजनाएं बाधित होती हैं.
बिना किसी पूर्व सूचना के बिजली आपूर्ति ठप रहने से कुछ दिनों से नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. नियोजित लोडशेडिंग के अभाव में महावितरण द्वारा बिजली की आपूर्ती खंडित की जा रही है. बिजली मानव जीवन का अभिन्न अंग बन गई है. इससे नागरिकों को 24 घंटे बिजली मिलने की उम्मीद है. इसके बाद जिले के तिरोड़ा में अदानी ग्रुप के पावर प्रोजेक्ट को बेहतर बिजली सेवा दिलाने के मकसद से मंजूरी दी गई थी हालांकि यहां बिजली उत्पादन के बावजूद जिले को इसका लाभ नहीं मिला है. वहीं शहर के कई हिस्सों में बिजली की कमी की समस्या से नागरिकों को हमेशा जूझना पड़ता है.
खासकर रविवार के दिन बिजली गुल हो जाने से नागरिकों की बड़ी पंचायत हो जाती है. बिजली गुल होने की स्थिति में नागरिक महावितरण के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश करते हैं लेकिन रविवार को अधिकारियों के मोबाइल हमेशा बंद रहते हैं या वे अक्सर जवाब नहीं देते. इस कारण बिजली कटौती के सही कारणों का पता नहीं चल सका है.
साथ ही सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों में अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं. बिना बिजली के मशीन नहीं चल सकती. इस वजह से अगर जनरेटर चालू नहीं होता या अचानक कोई समस्या आ जाती है तो मरीजों की जान को खतरा हो सकता है. बिजली उपभोक्ताओं ने मांग की है कि महावितरण के अधिकारी इन सभी प्रकार का संज्ञान लें और नागरिकों को अच्छी बिजली सेवा प्रदान करें.
नवजात की जान को भी खतरा है
नवजात शिशु के तापमान को बनाए रखने के लिए वार्मर मशीनों और वेंटिलेटर को उच्च दबाव वाली बिजली की आवश्यकता होती है. बार-बार बिजली गुल होने से नवजात की जान को भी खतरा हो सकता है. कई नवजात शिशुओं को अत्याधुनिक प्रणाली पर सलाइन देने की आवश्यकता होती है. उस मशीन को हाई वोल्टेज बिजली की जरूरत होती है. ऐसे में अगर बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है तो डाक्टरों को जनरेटर चलाने में कम से कम चार से पांच मिनट लग जाते हैं.
जैसा कि उक्त मशीन को गर्म होने में भी समय लगता है, ऐसी स्थिति में गलत नियोजन की संभावना से नवजात शिशु के जीवन को खतरा हो सकता है और मशीन को नए सिरे से सेट करना पड़ता है ऐसा बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है. गहन देखभाल इकाइयों में अत्याधुनिक प्रणालियों के लिए 24 घंटे बिजली की आपूर्ति आवश्यक है. लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि अगर अचानक बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है तो मरीजों की जान को खतरा हो सकता है.
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