Paddy | तीन बार समय सीमा बढ़ाए जाने के बाद भी धान खरीदी का लक्ष्य नही हुआ पुरा

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गोंदिया. खरीफ सीजन के लिए धान खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं होने के कारण  सरकार ने धान खरीदी की सीमा को तीन बार बढ़ाकर दिया है.  लेकिन तीन बार समय सीमा बढ़ाने के बाद भी 40 लाख क्विंटल धान की खरीदी का लक्ष्य प्राप्त करने में जिला मार्केटिंग फेडरेशन सफल नहीं हो पाया है.

किसानों को गारंटीकृत मूल्य से कम कीमत नहीं मिले, इसके लिए सरकार जिला मार्केटिंग फेडरेशन व आदिवासी विकास महामंडल के माध्यम से गारंटीकृत मूल्य पर धान की खरीदी करती है. शासन ने इस वर्ष जिला मार्केटिंग फेडरेशन को 40 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य दिया था. 31 जनवरी तक की डेडलाइन दी गई थी. लेकिन इस दौरान धान की खरीदी पूरी नहीं होने पर फिर से समय सीमा 15 फरवरी तक बढ़ा दी गई.

लेकिन निर्धारित अवधि में भी लक्ष्य पूरा नहीं होने पर समय सीमा पुन: 28 फरवरी तक बढ़ा दी गई थी. लेकिन इस दौरान खरीदी का लक्ष्य पूरा नहीं होने पर फिर से समय सीमा 8 मार्च तक बढ़ा दी गई, लेकिन जिला मार्केटिंग फेडरेशन ने 8 मार्च तक 39 लाख 88 हजार क्विंटल धान की खरीदी की. जिससे लक्ष्य पूरा करने के लिए दोबारा 12 हजार क्विंटल धान की जरूरत है. लेकिन 8 मार्च को धान खरीदी की समय सीमा समाप्त होने से अब ऐसा लग रहा है कि सरकार इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए फिर से समय सीमा बढ़ाएगी क्या इस ओर नजरे लगी हुई है. 

भुगतान के लिए निधी की प्रतिक्षा

जिला मार्केटिंग फेडरेशन ने इस वर्ष खरीफ सीजन में कुल 39 लाख 88 हजार क्विंटल धान की खरीदी की. खरीदे गए धान में से अब तक 750 करोड़ रुपये के धान का भुगतान किया जा चुका है. जबकि राशि के अभाव में 450 करोड़ रुपये का बकाया शेष है. भुगातन न होने से किसानों का रबी सीजन संकट में आ गया है.

धान को उठाया नही जा रहा 

धान खरीदी केंद्र पर खरीदी किए गए  धान को राइस मिलर्स से करार कर मिलिंग के लिए शासन को सीएमआर चावल जमा किया जाता है. अब तक लगभग 34 लाख क्विंटल धान की मिलिंग की जा चुकी है और भेजा गया चावल गोदामों में पड़ा है. अभी तक इस चावल को उठाने का आदेश नहीं आया है, ऐसे में रबी के लिए भंडारण की समस्या आने की आशंका है.

निलंबित अधिकारियों की जांच ठंडे बस्ते में

पिछले खरीफ सीजन में धान खरीदी घोटाले के मामले में गोंदिया व भंडारा स्थित जिला मार्केटिंग फेडरेशन के अधिकारियों को निलंबित किया गया था. इन अधिकारियों की विभागीय जांच कर उन पर आगे की कार्रवाई की जाने वाली थी. लेकिन यह कार्रवाई फिलहाल ठंडे बस्ते में है.



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