Gorakhpur News | गोरखपुर के जंगल कौड़िया को सीएम योगी ने दी ये सौगात, कही ये बड़ी बात

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गोरखपुर: बाल स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रगति में जनपद गोरखपुर (Gorakhpur) सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के सानिध्य में एक सोपान और आगे बढ़ा। मुख्यमंत्री ने जंगल कौड़िया स्थित सीएचसी (CHC) से यहां और चरगांवा (खुटहन) सीएचसी पर नवनिर्मित पीकू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) का उद्घाटन किया। इन पीकू का निर्माण हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (Hindustan Fertilizer & Chemicals Limited) ने कॉरपोरेट एनवायरनमेंट रिस्पांसबिलिटी (सीईआर) फंड से कराया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मजबूत हो रही स्वास्थ्य सुविधाओं से मृत्यु दर में काफी कमी आ रही है। 

सीएम योगी ने कहा कि अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं पर हर एक नागरिक का अधिकार है। सरकार तो इसके लिए सतत प्रयास कर ही रही है। संस्थाएं जब इसमें अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को समझकर जुड़ती हैं तो उसका लाभ जनता को और बड़े पैमाने पर मिलता है। जैसे हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) की तरफ से पूर्ण हुए दो पीडियाट्रिक आईसीयू से जंगल कौड़िया की ढाई लाख और चरगांवा की ढाई लाख यानी कुल पांच लाख की आबादी लाभान्वित होगी। इससे स्पष्ट है कि स्वास्थ्य सुविधाएं जितनी मजबूत होंगी, शिशु, मातृ और अन्य मृत्यु दर को उतना ही नियंत्रित किया जा सकेगा। 

इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों पर 96 फीसदी तक नियंत्रण

स्वास्थ्य केंद्रों पर पीकू की महत्ता बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लंबे समय तक पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह क्षेत्र मस्तिष्क ज्वर (इंसेफेलाइटिस) की चपेट में रहा। 1977-78 से लेकर 2017-18 तक 40 सालों में 50 हजार बच्चे इसकी वजह से असमय काल कवलित हो गए। कारण समय पर उपचार न मिलना। उन्होंने बताया कि 2017-18 से उनकी सरकार ने बीमारी पर नियंत्रण को लेकर कार्यक्रम शुरू किया। स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि की। जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पीकू, मिनी पीकू की व्यवस्था की। इन सबका परिणाम रहा कि इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों पर 96 फीसदी तक नियंत्रण पा लिया गया है। पहले जहां प्रतिवर्ष बारह सौ से पंद्रह सौ तक मौतें होती थीं, वहीं अब यह संख्या लगभग शून्य है। 

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उपचार से अधिक बचाव पर देना होगा ध्यान

मुख्यमंत्री ने कहा इंसेफेलाइटिस को लेकर  हमें अभी सतर्कता बरतनी होगी। उपचार से अधिक बचाव पर ध्यान देना होगा। स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, शौचालय के प्रयोग, सफाई, छिड़काव, टीकाकरण आदि को लेकर हमेशा जागरूक रहना होगा। सरकार बचाव और जागरूकता को लेकर साल में तीन से चार बार संचारी रोग नियंत्रण के विशेष अभियान चला रही है। साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं को भी लगातार मजबूत किया जा रहा है। 

36 जिलों में नहीं थे एक भी आईसीयू बेड

सीएम योगी ने कहा कि इंसेफेलाइटिस नियंत्रण को लेकर किए गए प्रयासों का अनुभव कोरोना काल के प्रबंधन में काफी काम आया। पहले 36 जिलों में एक भी आईसीयू बेड नहीं थे। आज उत्तर प्रदेश में सात हजार आईसीयू बेड सिर्फ बच्चों के लिए हैं। कोरोना से स्वास्थ्य सुविधाओं को और मजबूत करने के अवसर भी दिए। 

अब खाद की किल्लत नहीं, सौ फीसदी से अधिक उत्पादन दे रहा हर्ल

सीएम योगी ने कहा कि करीब 31 वर्ष बाद एफसीआई के बंद कारखाने की जगह पर हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) ने खाद का उत्पादन प्रारंभ किया है। हर्ल की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी और उन्हीं के हाथों इसका लोकार्पण भी हुआ। यह कारखाना कम जगह में पहले से ज्यादा क्षमता पर उत्पादन कर रहा है। हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड सौ फीसद से अधिक उत्पादन दे रहा है। इससे अब खाद की कोई किल्लत नहीं रह गई है। किसानों को कोरोना काल में भी समय पर खाद मिली। इस कारखाने का फायदा उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार और आसपास के राज्यों को मिल रहा है। 

सामाजिक प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ा रहा है हर्ल

सीएम योगी ने पीकू निर्माण के लिए हर्ल को धन्यवाद देते हुए कहा कि खाद उत्पादन के साथ ही यह अपनी सामाजिक प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ा रहा है। हर्ल ने शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट और स्वास्थ्य के कार्यक्रमों को लेकर कई पहल शुरू किए हैं। इसकी तरफ से 17 स्वास्थ्य केंद्रों में पीडियाट्रिक आईसीयू बनाने की कार्रवाई शुरू की गई है। दो का निर्माण पूर्ण हो गया है। यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा मिलेगी। कार्यदायी संस्था के रूप में गोरखपुर विकास प्राधिकरण इसका तीन वर्ष तक रखरखाव भी करेगा। सीएम ने विश्वास जताया कि शेष 15 स्वास्थ्य केंद्रों पर पीडियाट्रिक आईसीयू का निर्माण अगले तीन महीने में पूरा हो जाएगा।

17 स्वास्थ्य केंद्रों पर पीकू के लिए 24.71 करोड़ रुपए खर्च कर रहा हर्ल

हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड, गोरखपुर इकाई के कॉरपोरेट एनवायरनमेंट रिस्पांसबिलिटी (सीईआर) फंड से जिले में 17 पीकू या पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (बाल सघन चिकित्सा देखभाल इकाई) का निर्माण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में लगभग 24.71 करोड़ रुपए की लागत से विभिन्न चरणों में किया जा रहा है। वर्तमान में दो चिकित्सा इकाइयों (जंगल कौड़िया और चरगावां खुटहन) की निर्माण प्रक्रिया पूर्ण हो गयी है। इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य जनपद स्तर पर बाल चिकित्सा में प्रयोग होने वाले आधुनिकतम सयंत्र के माध्यम से बाल मृत्यु दर में कमी लाना है।



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