Delhi Excise Policy Case | मनीष सिसोदिया को तिहाड़ जेल की जेल नंबर 1 में रखा गया; कोर्ट ने भगवद्गीता ले जाने की दी अनुमति

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manish sisodiya

File Photo

नयी दिल्ली: आबकारी नीति मामले में 20 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजे गये दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया यहां तिहाड़ के केंद्रीय कारागार संख्या-1 में रखे जाएंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सिसोदिया की सात दिनों की सीबीआई रिमांड की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें सोमवार अपराह्न विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल के समक्ष पेश किया गया।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत से कहा कि उसे आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता की अब और हिरासत की जरूरत नहीं है। जेल के एक अधिकारी ने बताया कि अदालत के आदेश के बाद सिसोदिया को तिहाड़ लाया गया और आवश्यक प्रक्रिया को पूरा करने के बाद उन्हें जेल संख्या-1 में रखा जाएगा। इस बीच, आप ने कहा कि आबकारी नीति मामले में सिसोदिया से और पूछताछ के लिए उनकी सीबीआई द्वारा हिरासत मांगने की कोई जरूरत नहीं थी।

आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने दावा किया, ‘‘उनकी जमानत अर्जी पर कोई सुनवाई नहीं हुई। अदालत को दो विकल्पों पर विचार करना था, या तो उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाए, या उनकी पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाई जाए। सीबीआई के पास कोई सवाल नहीं था, उनसे पूछताछ के लिए उनकी हिरासत मांगने का कोई आधार नहीं था।

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सीबीआई के पास कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं था।” उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर प्रहार करते हुए कहा कि उसके प्रवक्ता टेलीविजन परिचर्चाओं में आरोप लगा रहे हैं कि आबकारी नीति मामला स्पष्ट साक्ष्यों वाला प्रकरण है और घोटाला होने का दावा करने के लिए फर्जी दस्तावेज दिखा रहे हैं।

आप नेता ने कहा, ‘‘यदि उनके पास साक्ष्य है तो वे इसे सीबीआई को क्यों नहीं सौंपते।” अदालत ने सिसोदिया को जेल में भगवद्गीता, चश्मा, दवा आदि ले जाने की अनुमति दी और तिहाड़ जेल अधीक्षक को विपश्यना (ध्यान) की अनुमति देने के उनके अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया। अदालत सिसोदिया की जमानत अर्जी पर 10 मार्च को सुनवाई करेगी।

आप प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यदि उन्हें जमानत मिलती है तो उनकी न्यायिक हिरासत समाप्त हो जाएगी।” सीबीआई ने 2021-22 की शराब नीति तैयार करने और इसके कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में पिछले सप्ताह सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। यह नीति अब रद्द की जा चुकी है।



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