Nagpur ZP | अपने ही पदाधिकारियों से नाराजगी, जिप कांग्रेस में नजर आ रहा असंतोष

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अपने ही पदाधिकारियों से नाराजगी, जिप कांग्रेस में नजर आ रहा असंतोष

नागपुर. जिला परिषद में सत्ताधारियों में ही तालमेल नजर नहीं आ रहा है. केदार गुट का वर्चस्व होने के चलते दूसरे गुट के सदस्यों ने खुलेआम अध्यक्ष पद चुनाव के समय बगावत कर दी थी. बागियों का गणित नहीं जम पाया था उसका कारण भी बागियों ने सार्वजनिक कर अपने ही जिलाध्यक्ष पर पीछे हट जाने का आरोप भी लगाया था. जैसे-तैसे मामला निपटा लेकिन अब कुछ कांग्रेसी सदस्य अपने ही पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली से नाराज दिख रहे हैं. नाना कंभाले तो अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद से अब बैठकों व सभा में खुले तौर पर विपक्ष के साथ ही बैठ रहे हैं.

सत्ताधारियों की सदस्य संख्या अधिक होने के चलते विपक्ष भाजपा की बिल्कुल भी नहीं चल रही थी. विपक्ष बैकफुट पर आ चुका था लेकिन कंभाले जैसे अनुभवी बागी सदस्य का साथ मिलने से विपक्ष दोबारा आक्रामक हुआ है. 2 दिन पूर्व हुई बजट सभा में कंभाले ने लगभग हर मुद्दे पर अपनी ही पार्टी के पदाधिकारियों को इस कदर घेरा कि उनके सवालों के जवाब अधिकारियों के पास भी नहीं थे. सदन में स्पष्ट दिख रहा था कि कंभाले विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. आश्चर्य की बात यह है कि कांग्रेस अपने बागी सदस्य पर संगठन स्तर पर किसी तरह की कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रही है. 

…तो सामने आ जाती असलियत

बजट में 17 सामूहिक योजना के तहत प्रत्येक सदस्य को लगभग 10.50 लाख रुपये का प्रावधान किया गया. यह निधि कम होने के चलते विपक्ष ही नहीं अनेक सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों में भी नाराजी दिख रही थी जब कंभाले ने अध्यक्ष से बजट के पक्ष और विपक्ष में ‘मत’ लेने की मांग की तब सत्ताधारियों की ओर से अनेक सदस्यों ने अपने हाथ पक्ष में खड़े किये लेकिन अनेक सदस्य अपनी कुर्सी पर ही बैठे रहे और हाथ ऊपर नहीं किये. इनमें सबसे सीनियर सदस्या शांता कुमरे के साथ अनेक सदस्यों का समावेश था. हालांकि कंभाले की इस मांग को अध्यक्ष सिरे से खारिज कर बजट के बहुमत से पारित होने की बात कहती रही थीं. चर्चा है कि अगर अध्यक्ष ने कंभाले की मांग स्वीकार की होती तो बजट के विरोध में कुछ कांग्रेसी सदस्यों के हाथ खड़े होते और पार्टी का असंतोष सार्वजनिक हो जाता. 

विपक्ष का सभात्याग हास्यास्पद

नाना कंभाले कांग्रेस के बागी हैं न उन्होंने पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल होने की घोषणा की है और न ही भाजपा में उनका अधिकृत प्रवेश ही हुआ है. बावजूद इसके जब कंभाले द्वारा फाइल और माइक फेंकने और असंसदीय शब्दों का उपयोग करते हुए सभात्याग किया गया और कांग्रेस के एक सदस्य द्वारा उनकी इस हरकत के चलते उनके निलंबन प्रस्ताव की मांग की गई तो विपक्ष के गटनेता आतिश उमरे सहित सारे भाजपायी उखड़ गए और सभात्याग कर दिया. जबकि उन्हें तो ग्रामीण जनता के हित में सत्ताधारियों से बजट में अनेक संशोधन करवाने के लिए पूरी वजनदारी के साथ सदन में बने रहना था. ‘नाना प्रेम’ में भाजपाइयों का सभात्याग जिले के नागरिकों की समझ में ही नहीं आया. विपक्ष अपनी भूमिका भुला कर भटक गया लगता है. 

चल रही यह भी चर्चा 

विपक्ष के सभात्याग के संदर्भ में चर्चा यह भी चल रही है कि फर्नीचर घोटाले का मुद्दा उठाने से बचने के लिए सभात्याग प्लांट किया गया. जिप के तत्कालीन सभापति द्वारा बंगले से सरकारी फर्नीचर अपने घर ले जाने का मुद्दा कुछ दिनों से सुर्खियों में हैं. विपक्ष यह मुद्दा सदन में उठाने की पूरी तैयारी में था. चर्चा है कि उक्त सभापति द्वारा सभी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से फोन कर फर्नीचर की कीमत भरने की तैयारी दिखाते हुए मुद्दा नहीं उठाने का निवेदन किया. एक-दो सदस्यों के पास तत्कालीन मंत्री के भी फोन जाने की चर्चा है. अगर विपक्ष सदन में पूरे समय बना रहता तो संभव है यह मुद्दा उसे उठाना पड़ता क्योंकि स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में विपक्षी सदस्यों ने ही उक्त मुद्दा उठाया था. उक्त तत्कालीन सभापति को बचाने के लिए विपक्ष ने कंभाले की आड़ में सभात्याग कर अपने मुद्दे को ही दबा दिया. 



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