Imprisonment | रिश्वतखोर स्वास्थ्य अधिकारी को सश्रम कारावास, स्वास्थ्य सेविका से नक्सल भत्ते में मांगता था कमीशन

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रिश्वतखोर स्वास्थ्य अधिकारी को सश्रम कारावास, स्वास्थ्य सेविका से नक्सल भत्ते में मांगता था कमीशन

गोंदिया. विशेष सत्र न्यायालय, गोंदिया ने एसीबी द्वारा वर्ष २०१४ में दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी देवरी स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रकाश नागपुरे (62) को 3 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. इस मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता रेखा गोफने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र घोनाडी उपकेन्द्र सिंगणडोह में स्वास्थ्य सेविका के रूप में जनवरी 2012 से कार्यरत थी, चूंकि यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित क्षेत्र था, इसलिये इस क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त प्रोत्साहन भत्ता शासन द्वारा दिये जाने का प्रावधान था.

अप्रैल 2013 से मार्च 2014 इस कालावधि में प्रोत्साहन भत्ते के रु. 72,000/- मंजूर किये गए थे, जिसके अनुसार इस रकम के दो धनादेश 54,000 /- एवं 18,000 /- शिकायकर्ता को तालुका आरोग्य अधिकारी, देवरी के माध्यम से प्राप्त हुए थे, इसके उपरांत शिकायतकर्ता स्वास्थ्य सेविका तीन से चार बार तालुका स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय, देवरी में सरकारी कार्य के लिये गई तब हर बार आरोपी ने प्रोत्साहन भत्ते की राशि स्वीकृत करने के लिए शिकायतकर्ता से स्वीकृत राशि के 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की.

तत्पश्चात् दिनांक 18/07/2014 को आरोपी ने शिकायतकर्ता को फोन कर धमकाया कि यदि वह रिश्वत के रुपये नहीं देगी तो उसकी राशि उसे नहीं दी जायेगी. ऐसे में अभियुक्त नागपुरे की रिश्वत की बार बार मांग से तंग आकर शिकायतकर्ता ने दिनांक 23/07/2014 को भ्रष्टाचार निरोधक विभाग, गोंदिया में अभियुक्त के विरुद्ध शिकायत दर्ज करायी. 

भ्रष्टाचार की रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किये जाने के उपरांत आरोपी तालुका स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया था. इस प्रकरण में पुलिस उपअधीक्षक पुरुषोत्तम अहेरकर, पुलिस उपअधीक्षक, एंटी करप्शन ब्यूरो प्रतिबंध विभाग, गोंदिया के मार्गदर्शन में पैरवी कर्मचारी पो.हवा. अशोक कापसे व महिला पुलिस सिपाही श्रीमती रोहिणी अटंगले ने दोष सिद्ध करने में भूमिका निभाई.

न्याय प्रविष्ट मामले के बीच शिकायतकर्ता की आत्महत्या

इस मामले में दुर्भाग्यजनक यह रहा कि इस प्रकरण में न्यायालय के समक्ष प्रलंबित मामले की शिकायतकर्ता ने आत्महत्या कर ली, इसलिये वह न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं हो सकी. इस प्रकरण में आरोपी नागपुरे के विरुद्ध दोष सिद्ध करने के लिये सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील कैलाश आर. खंडेलवाल ने कुल पांच गवाहों के बयान न्यायालय के समक्ष दर्ज करवाए. इस दौरान आरोपी के वकील एवं सरकारी वकील के बीच अनेक दलीलों और तथ्यों को भी न्यायाधीश ने सुना, जिसमें आरोपी के खिलाफ सरकारी वकील अपराध सिद्घ करने में सफल रहे. 



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