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पर्यटकों का मनमोह रहा खिवनी अभ्यारण

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सफारी के लिए ऑफलाइन बुकिंग कैंपस में ही कर सकते हैं

– अभ्यारण क्षेत्र में 140 से अधिक पक्षियों एवं 100 से अधिक वृक्षों एवं झाड़ी की प्रजाति

– रात्रि विश्राम के लिए बुकिंग वेबसाइट https://ecotourism.mponline.gov.in/ पर करें

– बाघ, तेंदुआ, भालू, लक्कड़बग्गा, भेड़िया, चीतल, चिंकारा, काला हिरण, सांभर डियर, नीलगाय पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र

देवास। पश्चिमी मध्यप्रदेश की विंध्याचल पर्वत श्रेणी के दो जिलों देवास एवं सीहोर में फैले और अधिसूचना के हिसाब से मध्यप्रदेश के प्रथम वन्यप्राणी अभ्यारण और जामनेर नदी का उद्गम स्थल खिवनी वन्यप्राणी अभ्यारण पुनः पर्यटकों को अपनी जैवविविधता एवं बाघों की उपस्थिति के साथ स्वागत करने को आतुर है।

खिवनी वन्यप्राणी अभ्यारण अपने में प्रचुर जैवविविधता समेटे हुए है। अभ्यारण क्षेत्र में 140 से अधिक पक्षियों की प्रजाति, 100 से अधिक वृक्षों एवं झाड़ी प्रजाति, मांसाहारी वन्यप्राणी बाघ, तेंदुआ, भालू, लक्कड़बग्गा, भेड़िया, शाकाहारी वन्यप्राणी चीतल, चिंकारा, काला हिरण, सांभर डियर, नीलगाय पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण के केंद्र हैं। पर्यटकों की सफारी के लिए मीडो सर्किल रूट क्रमांक-1 एवं खिवनी व्यू पॉइंट/इको पॉइंट रूट क्रमांक-2 पर सफारी की जा सकेगी। साथ ही पक्षी प्रेमियों के लिए चिरैया पथ पर ट्रैकिंग की भी सुविधा होगी।

टेंट में रात्रि विश्राम, यह रहेगा किराया-

खिवनी वन्य प्राणी अभ्यारण्य में इको टूरिज्म बोर्ड के सहयोग से पर्यटकों को ठहरने के लिए 4 जंगल टेंट (प्रति टेंट 2 व्यक्ति) लगाए हैं, जो कि 2 हजार रुपये प्रति रात्रि के दर पर, साथ ही चीतल भवन टूरिस्ट कॉटेज 1500 रुपए प्रति रूम (2 व्यक्ति प्रति रूम) एवं दूधराज भवन टूरिस्ट कॉटेज 1 हजार रुपये प्रति रूम (2 व्यक्ति प्रति रूम) भी बुकिंग के लिए मप्र ईकोटूरिस्म की वेबसाइट https://ecotourism.mponline.gov.in/ पर उपलब्ध है। पर्यटक रात्रि विश्राम के लिए बुकिंग ऑनलाइन मप्र ईकोटूरिस्म की साइट से कर सकते हैं एवं सफारी के लिए ऑफलाइन बुकिंग कैंपस में ही की जा सकेगी। अभ्यारण में निजी वाहन से प्रवेश के लिए वाहनों की प्रवेश दर प्रवेश द्वार पर प्रथक से देय होगी। रात्रि विश्राम के साथ ही टूरिस्ट के नाश्ते एवं भोजन की व्यवस्था टूरिस्ट कैंपस में इको विकास समिति द्वारा की जाती है।

पैदल भ्रमण के लिए पर्यटकों को प्री बुकिंग के आधार पर न्यूनतम 10 के समूह में लोकल गाइड के साथ निर्धारित रूट पर भ्रमण कराया जाएगा। ताकि समिति सदस्यों को अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। इसके लिए समिति के माध्यम से स्थानीय लोगों को जिन्हें वनस्पति एवं वन्य प्राणियों के बारे में जानकारी है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी व विभाग द्वारा आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

राज्यपक्षी दुधराज भी है-

वन्यप्राणी अभ्यारण की गोद में बाल गंगा नदी के किनारे बना अति प्राचीन बाल गंगा मंदिर एवं पवित्र कुंड एवं वहां से 12 महीने बहती जलधारा धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र है। पक्षी प्रेमियों के लिए यहां बना चिरैया पथ किसी जन्नत से कम नहीं है जो कि मध्यप्रदेश के राज्य पक्षी दुधराज को निहारने के लिए अत्यंत ही सुखद स्थान है। पहाड़ी के ऊपर जामनेर नदी पर बना शंकरखो वाटर फॉल बारिश के चलते अपने पूरे जोश में है जो कि पर्यटकों को सुखद आनंद की अनुभूति देगा साथ ही कलम तलाई पेट्रोलिंग कैम्प से दिखने वाली विंध्याचल पर्वत मालाएं भी आकर्षक का केंद्र है।

व्यू पॉइंट से निहार सकेंगे प्रकृति को-

वर्तमान में अभ्यारण आने वाले टूरिस्ट को नंडादाई गेट से प्रवेश दिया जाता है। इस वर्ष सिया घाट क्षेत्र को भी पर्यटन क्षेत्र अधिसूचित कराते हुए, पर्यटकों के लिए सोवेनियर शॉप व अभ्यारण क्षेत्र में प्रवेश हेतु नवीन प्रवेश द्वार के प्रस्ताव शासन को भेजे गए हैं। साथ पर्यटकों को अभ्यारण में पैदल भ्रमण कराने कि योजना भी शीघ्र ही स्वीकृत होगी। ताकि पर्यटक पैदल भ्रमण करते हुए अभ्यारण के झरनों एवं व्यू पॉइंट से प्रकृति को निहार सके।

 

10 से अधिक टाइगर्स का विचरण-

मालवा अंचल में वर्तमान में कोई राष्ट्रीय उद्यान नहीं है। खिवनी एवं देवास जिले के कोरिडोर में 10 से अधिक टाइगर्स का विचरण है। सीहोर जिले की फारेस्ट रेंज आष्टा, देवास की फारेस्ट रेंज कन्नौद, रेंज खातेगांव का वन रकबा सम्मिलित करके अभ्यारण्य का रकबा बढ़ाने के प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट टूरिज्म बोर्ड से भी अभ्यारण्य क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ाने हेतु वन संरक्षक देवास से प्रस्ताव बुलाए गए हैं।

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