– फसल में सिंचाई की सुविधा के लिए करना पड़ते हैं कई जतन
– भाकिसं ने दिया धरना, तहसीलदार के ज्ञापन लेने के बाद माने किसान
देवास-टोंकखुर्द। अपनी उपज के सही दाम लेने और खेती को लाभ का सौदा बनाने के लिए किसानों को क्या-क्या नहीं करना पड़ता है, यह स्वयं किसान से बेहतर कोई नहीं जान सकता। जिम्मेदारों को सजग करने के लिए उसे कभी-कभी सरकारी कार्यालय के सामने दाल-बाटी भी बनाना पड़ती है। बुधवार को किसानों ने टोंकखुर्द तहसील कार्यालय के गेट के बाहर कंडे जलाए और वहां बाटी सेंकी। यहां किसान पार्टी करने के लिए नहीं बल्कि धरना देने के लिए आए थे और समय पर कोई अधिकारी ज्ञापन लेने के लिए नहीं पहुंचा तो यहीं पर दाल-बाटी बनाई।
बिन पानी सब सून वाली कहावत फसलों पर भी पूरी तरह से चरितार्थ होती है। सरकार ने नर्मदा सिंचाई परियोजना लागू की है, लेकिन इसमें टोंकखुर्द तहसील के 52 गांव छूट गए। इन छूटे हुए गांवों को भारतीय किसान संघ पूरी शिद्दत से परियोजना में शामिल करवाने में लगा है। इसे लेकर भाकिसं का एक दिवसीय धरना प्रदर्शन तहसील कार्यालय के समीप था। इसके लिए बकायदा संघ के पदाधिकारियों ने सूचना दे दी थी। भारतीय किसान संघ के जिला महामंत्री शेखर पटेल ने बताया कि हमने एक दिवसीय धरने की सूचना संबंधितों को दी थी। हमें ज्ञापन भी देना था, इसके लिए काफी समय तक कोई अधिकारी या कर्मचारी नहीं आया तो हमने इसे अनिश्चितकालीन कर दिया था। जब धरना अनिश्चितकालीन था तो हमने यहीं पर दाल-बाटी बनाई। इधर किसानों के अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन की जानकारी लगने पर तहसीलदार राधा महंत सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंंचे। किसानों से ज्ञापन लेकर चर्चा की। इसके बाद भारतीय किसान संघ ने धरना निरस्त कर दिया। इस अवसर पर भारतीय किसान संघ के जिला उपाध्यक्ष सत्यनारायण पटेल, जिला कोषाध्यक्ष बहादुरसिंह, तहसील अध्यक्ष मुकेश पटेल, तहसील उपाध्यक्ष भगवानसिंह, जिला कार्यकारिणी सदस्य मनोहरसिंह, हरीश मुकाती, गोपीचंद अभय सहित आसपास के गांव के किसान उपस्थित थे। इस संंबंध में तहसीलदार राधा महंत का कहना है कि हमारी बैठक थी और इस बारे में पहले ही किसानों को सूचित कर दिया था। बैठक के बाद हमने उनका ज्ञापन ले लिया और किसानों ने भी धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया है।
Leave a Reply