मंदिर में करीब 400 वर्ष पुरानी है श्री गणेश की चैतन्य स्वयंभू चमत्कारिक मूर्ति
भौंरासा (मनोज शुक्ला)। बाबा भंवरनाथ की पावन नगरी के नाम से विख्यात भौंरासा नगर के बीचो-बीच श्री गणेश मोहल्ला क्षेत्र में स्थित गणेशधाम मंदिर में स्वयं भू स्थापित प्रतिमा है। इसे किसी ने स्थापित नहीं किया, बल्कि स्वयं ही स्थापित हो गई।
यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते है। श्री गणेशजी सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। जब किसी के घर विवाह समारोह हो या अन्य शुभ कार्य तो सबसे पहले पाती श्रीसिद्ध विनायक गणेश के यहां रखना कोई नहीं भूलता। श्री सिद्ध विनायक गणेश भी शुभ काम को संवारने के लिए आशीर्वाद देना नहीं भूलते। श्रीगणेशजी की मूर्ति मूर्तिकला की बेजोड़ कारीगरी तो है ही, साथ में चमत्कारी भी है। यहां दर्शन मात्र से अत्मिक शांति मिलती है। श्रद्धालु बताते हैं, कि यहां माथा टेकने से मनोकामनाएं पूरी होती है। वे इसके प्रमाण में कई किस्से सुनते है।
मूर्ति के बारे में मंदिर के पुजारी महंत संतोष गिरि गोस्वामी ने बताया कि गणेशजी की इस अदभुत अति प्राचीन चैतन्य मूर्ति को कुछ लोग वर्षों पहले जयपुर से लेकर आए थे, जो बैलगाड़ी से बागली लेकर जा रहे थे। रात्रि विश्राम के लिए भौंरासा नगर में महंत नाथूगिरि गोस्वामी के मठ पर रुक गए। मूर्ति बैलगाड़ी में रखी थी, किंतु जब सुबह उठकर देखा तो मूर्ति बैलगाड़ी से गायब होकर अपने मठ में विराजमान हो चुकी थी। तब बागली के लोगों ने मूर्ति को बागली ले जाने के लिए उठाने का प्रयास किया तो उठना तो दूर वहां से हिली तक नहीं। अखिरकार थक हारकर वे लोग खाली हाथ बागली लौट गए। बाद में महंत तथा भौंरासावासियों ने उक्त मूर्ति की विधि-विधान से स्थापना की। तब से आज तक हजारों श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी हुई।
इसी प्रकार गणेश स्थापना के अवसर पर प्रतिवर्ष नगर परसाई संजय जोशी, अजबसिंह धाकड़, नवीन डोडिया, अन्ना भैया की ओर से महाआरती कर क्विंटलोे से लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। शिर्डी महाराष्ट्र से विशेष गुलाब की पुष्पमाला भक्तों द्वारा मंगवाई जाती है।
महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है यहां की मन्नत से-
जिन महिलाओं को बच्चे नहीं होते हैं, वे अगर यहां पर आकर सच्चे मन से भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना करती हैं और उल्टा स्वास्तिक बनाकर मन्नत मांगती हैं तो उनके यहां सालभर के अंदर सुनी गोद भर जाती है। ऐसे एक-दो नहीं कई उदाहरण है। जिन्हें 12-12 साल तक कोई संतान नहीं थी, उन्होंने गणेशजी के यहां उल्टा स्वास्तिक बनाया व मन्नत मांगी उनके यहाॅं गणेश चतुर्थी के दिन ही संतान की प्राप्ति हुई है। संतान प्राप्ति के बाद संतान का तुलादान यहां पर किया जाता है।
इनका कहना है-
नगर परसाई संजय जोशी का कहना है कि नगर के मध्य चमत्कारी श्री गणेशजी के दर्शन के पश्चात अपने सारे काम शुरू करता हूं। श्री गणेश भगवान के आशीर्वाद से सफलता प्राप्त होती है। मेरा जन्म भी गणेशजी की कृपा से ही हुआ है। गणेश जी की मूर्ति बहुत ही चैतन्य व चमत्कारी है। दर्शन मात्र से सारे काम शुभ होते हैं।
मंदिर के पुजारी महंत संतोषगिरि गोस्वामी कहते है कि हमारे परिवार की पिछली 5 पीढ़ी भगवान श्री गणेश की सेवा व पूजा-अर्चना कर रही है। भगवान गणेश के आशीर्वाद से आज भी सारे काम सफलतापूर्वक होते आ रहे है। मन को अभिन्न शांति प्राप्त होती है।
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