देवास। राम भी रोज प्रकट होते हैं और साहेब कबीर भी रोज प्रकट होते हैं। पांचों तत्व, तीन गुण यह सब बाहर की बातें हैं, बाहर की वस्तु है। सद्गुरु कबीर साहेब अविगत से चले आए हैं, जो गति में नहीं आते हैं। जैसे सूर्य रोज उदय और अस्त होता है, वह गतिमान है, लेकिन साहेब कबीर अचानक प्रकट हुए हैं। सूर्य तो हमें दिखाई देता है कि कितनी बजे उदय और अस्त हुआ, लेकिन साहेब कबीर उदय नहीं हुए हैं प्रकट हुए हैं। साहेब प्रकट इसलिए कहलाते हैं कि सब दिन सब जगह 24 घंटे उपलब्ध हैं।
यह विचार सदगुरु मंगलनाम साहेब ने 30 जून को सामाजिक न्याय परिसर उज्जैन में आयोजित होने वाले कबीर महाकुंभ में शामिल होने के लिए कबीर प्रकटोत्सव समिति उज्जैन द्वारा आमंत्रित करने के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा, कि हरि व्यापक और सभी में समान रूप से समाया हुआ है। जो अज्ञानता को हरने और ज्ञान को देने वाला है। वह सब जगह प्रकट रूप में है। अति सूक्ष्म व सब में समाया हुआ है। वह अति सूक्ष्म होने के बाद भी व्यापक हैं। उसको हम जब देखना चाहे प्रकट है।
मोको कहां ढूंढे रे बंदे मैं तो तेरे पास हूं, लेकिन सबके पास होने के बाद भी हम देख नहीं पा रहे हैं। वह सद्गुरु की कृपा से ही दिखाई देता है। तब आदमी को होश आता है कि यह तो श्वास रूप में ही मेरे पास बैठा है। लेकिन कभी मेरा ध्यान नहीं गया। फिर हाथ देखा, उंगली देखी, आंख देखी लेकिन जो व्यापक वस्तु है वह श्वास है, वह नहीं है तो कुछ भी नहीं है। कोई ऐसा तत्व नहीं जिसमें साहब को नहीं देखा जा सकता। वह गरीब में अमीरी में धरती, आकाश में सभी में समान रूप से प्रकट रूप में हैं। स्वांस रूप में साहब सबके अंदर बैठे हैं। उस परमात्मा ने कभी भेद नहीं किया, कभी तेरा मेरा नहीं किया। इसलिए वह सब जगह मौजूद है, लेकिन जैसे आपके पास माचिस की तिल्ली है लेकिन आप जब तक उस तिल्ली को रगड़ोंगे नहीं तो आग कैसे जलेगी। वैसे ही परमात्मा 24 घंटे हमारे साथ है लेकिन वह दिखाई सतगुरु की संगति से ही देगा। सदगुरु की संगत से संसार के सारे भेद मिट जाते हैं।
इस अवसर पर पूर्व विधायक रोडमल राठौर, मुकेश चित्तौड़िया सहित साध संगत उपस्थित थे। यह जानकारी सेवक राजेन्द्र चौहान ने दी।
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