देवास। बुजुर्ग हमारी अमूल्य धरोहर हैं, उनका सदैव सम्मान करें। तिरस्कार, अपमान कदापि न करें। बुजुर्गों की सेवा हमारे बिगड़े काम बना देते हैं। प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर प्रत्येक बच्चे अपने माता-पिता के चरण अवश्य छुए। अपने सास-ससुर के चरण छुए और चरण छूकर मस्तक पर लगा लें। इससे आपकी बुद्धि तेज हो जाएगी। आप तेजस्वी हो जाएंगे।
यह विचार संस्था की जिला संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय कालानी बाग सेंटर में आयोजित बुजुर्गों के सम्मान समारोह के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा बुजुर्गों की सेवा, गौ माता की सेवा, धर्म की रक्षा करना, असहायों की सेवा यह सब परोपकारी और परमार्थ के कार्य है। इससे बड़ा कोई धर्म, कोई सेवा कार्य नहीं है। सनातन धर्म में बड़े-बुजुर्गों, माता-पिता की आदिकाल से ही सेवा, सम्मान करने की संस्कृति रही है, लेकिन आज का युवा अपनी संस्कृति को छोड़कर पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहा है, जो चिंताजनक है। इसलिए प्रत्येक युवा, पुत्र, पुत्रियां अपनी सनातन संस्कृति, धर्म का पालन करते हुए अपने माता-पिता की सेवा अवश्य करें। माता-पिता की सेवा कभी व्यर्थ नहीं जाती।
इस दौरान धर्म के कार्य में सदैव अग्रणी रहने वाली समाजसेवी कस्तूरी माता, कालिंदी माता, शारदा माता, पुष्पा माता, दीपा माता, सरजू माता, इंदिरा माता का ब्रह्माकुमारी प्रेमलता दीदी के सानिध्य में संस्था से जुड़े भाई-बहनों ने शॉल- श्रीफल एवं पुष्पमाला से सम्मान किया। इस पुण्यमय कार्य को सफल बनाने में रत्नप्रभा बहन, सुनीता बहन, तेजू, मनीषा बहन, एकता बहन, अपूलश्री बहन, हेमा वर्मा आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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