भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, कि नर्मदा नदी के घाटों सहित प्रदेश की विभिन्न नदियों पर विद्यमान धार्मिक महत्व के घाटों को प्राथमिकता के आधार पर विकसित किया जाए। प्रदेश के विकास में नर्मदा जल का अधिक से अधिक उपयोग सुनिश्चित करने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई जाए। प्रदेश के जो बांध वर्षा ऋतु में प्राकृतिक रूप से भरते हैं और उनके जल का उपयोग दिसंबर तक हो जाता है, उन्हें तथा अन्य जल संरचनाओं में नर्मदा जल की आपूर्ति कर उद्योगों तथा कृषि को जल उपलब्ध कराया जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंत्रालय में हुई नर्मदा नियंत्रण मंडल की 79वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में अपर बुढ़नेर बांध, पावर हाउस एवं दाबयुक्त सिंचाई प्रणाली तथा शेर-मछरेवा वृहद परियोजना अंतर्गत मछरेवा सिंचाई परियोजना में बांध एवं दाबयुक्त सिंचाई प्रणाली की निर्माण प्रक्रिया के संबंध में विचार-विमर्श हुआ। इसके साथ ही मोरंड-गंजाल संयुक्त सिंचाई परियोजना, कालीसिंध उद्वहन माइक्रो सिंचाई परियोजना, भीकनगांव बिंजलवाड़ा माइक्रो सिंचाई परियोजना, जावार माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना, नर्मदा क्षिप्रा बहुउद्देशीय परियोजना, छीपानेर माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना, अंबा रोडिया, बलकवाड़ा, चौंडी जामन्या एवं सिमरोल अंबाचंदन ग्रुप माइको सिंचाई परियोजनाओं, ढीमरखेड़ा माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना, बरगी व्यपवर्तन परियोजना की दायीं तट मुख्य नहर के 104 किमी से 129 किमी तक नहर तथा डही माइको उद्वहन सिंचाई परियोजना के निर्माण की प्रगति की समीक्षा की गई।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्नसिंह तोमर, मुख्य सचिव वीरा राणा, उपाध्यक्ष नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण एवं अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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