बागली (हीरालाल गोस्वामी)। विंध्याचल पर्वत माला के परिजात खंड में स्थित नगर बागली के पश्चिम दिशा में बागली-रामपुरा मार्ग पर प्राचीन, पौराणिक शक्ति स्थल रेणुका माता मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था, विश्वास का केन्द्र है।
लगभग 200 वर्ष से अधिक पुराने फैफर वृक्ष के नीचे माता त्रिशूल रूप में विराजित है। रियासतकालीन समय से विराजित माता को महर्षि परशुराम की माता के रूप में मान्यता रही है। रण में शत्रुओं से विजय दिलाने वाली शक्ति स्वरूपा के रुप में मान्य है। पंडा के पुजारी रहे शंकरलाल राठौर ने बताया, कि यह चमत्कारी स्थल है। स्व. मांगीलाल पतियार को माताजी शरीर में आती थी, तो बागली रियासत के 60 गांवों के श्रद्धालु पूजा-अर्चना व अपनी मन्नत लेकर आते हैं। 100 वर्ष पूर्व जब नगर में हैजा व चेचक महामारी का प्रकोप आया था तो माताजी ने सिंदूर पीकर रोगियों को स्वस्थ किया व एक मृत व्यक्ति को जीवित किया था। साथ ही सैकड़ों लोगों के सामने लकड़ी के ठूठ को खड़ा कर चलाया था। जनश्रुति
के अनुसार मंदिर में प्रतिदिन साफ-सफाई करने वाले सेवक स्व. तुलसीराम जायसवाल को प्रतिदिन एक चांदी का सिक्का मिलता था। रेणुका माता नगर के मेवाड़ा माली समाज की कुलदेवी व नगरकोट महारानी के रूप में पूजित है। ब्रह्मलीन मंहत अन्नानास महाराज खाकी ने इसे अपनी कर्मस्थली बनाकर मंदिर, आश्रम व कुआं बनवाया था। मंदिर के वर्तमान महंत गोविंददास त्यागी महाराज ने लगभग 300 से अधिक फलदार पौधा का बगीचा भी लगाया है। संस्कृताचार्य पं. सुनीलदत्त जोशी ने बताया, कि यह चमत्कारी सिद्ध स्थल है। यदि नियम-संयम का पालन कर माता की उपासना की जाती है तो शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व बाहरी बाधा से मुक्ति मिलती है।
वर्ष में दोनों नवरात्र पर भंडारे का आयोजन जनसहयोग से किया जाता है। साथ ही अन्य पर्व के दौरान भी विविध धार्मिक आयोजन होते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन विप्रजनों द्वारा जलाभिषेक, आर्कषक श्रृंगार किया जाता है। रात्रि 12 बजे शयन आरती की जाती है। नवरात्र के अंतिम दिन नवमी पर भंडारे के आयोजन में बागली राजपरिवार सहित आसपास के हजारों श्रद्धालु भोजन प्रसाद ग्रहण करने व देवी पूजन के लिए आते हैं। सेवा समिति के शिव शर्मा, धीरज चौहान, रूपसिंह जायसवाल, संजय परमार, प्रमोद उपाध्याय, हीरालाल गोस्वामी, ठाकुर तंवर, किशन गोस्वामी, मुरली वैष्णव, राजेश तंवर आदि व्यवस्था में जुटे हैं।
Leave a Reply