गुनेरा-गुनेरी नदी उफान पर, कई गांवों का संपर्क कटा
बेहरी (हीरालाल गोस्वामी)। अतिवृष्टि से क्षेत्र में हालात बिगड़ रहे हैं। गुनेरा-गुनेरी नदी उफान पर है। बीच गांव स्थित रपट पर करीब 10 फीट पानी है।
इधर क्षेत्र में आसपास के नाले ओवरफ्लो होने से निचली बस्तियों के कई घरों में पानी घुस गया है। रहवासी रतन बागवान ने बताया, कि लगातार वर्षा से स्थिति बिगड़ रही है। क्षेत्रवासियों की मजबूरी कहें या बेबसी तीन दशक से रपट को ऊंचे पुल में परिवर्तित करने की मांग करने के बावजूद भी यह परेशानी बनी हुई है। इस मामले में शासन-प्रशासन के साथ क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी अनदेखी कर रहे हैं। कैलाश जोशी के बाद पहली बार दीपक जोशी इस क्षेत्र से विधायक बनकर भोपाल पहुंचे, तब उन्होंने ग्राम पंचायत स्थित मंदिर से पुल बनाने की घोषणा की थी। उसके बाद सांसद बने दिवंगत नंदकुमारसिंह चौहान 3 चुनाव में इस घोषणा को समर्थन देते हुए बड़ा पुल बनाने का वादा जनता से करते रहे और तो और कांग्रेस के कद्दावर अरुण यादव भी सांसद बनने के बाद इस घोषणा का समर्थन करके पक्का वादा कर गए। इनके बाद दिवंगत चंपालाल देवड़ा क्षेत्र से विधायक बने, उन्होंने भी मंदिर प्रांगण से इसी बात को दोहराया, लेकिन वह भी सिर्फ घोषणा रह गई। वर्तमान विधायक पहाड़सिंह कन्नौज भी कई बार बेहरी पहुंचे और ग्रामीणों ने पुलिया की मांग की, लेकिन अब तक यह समस्या बरकरार है। इस बार वर्षा के चलते आरंभ से लेकर अभी तक 20 बार कई घंटों तक तेज वर्षा की वजह से यह मार्ग अवरुद्ध रहा और तहसील मुख्यालय से 10 गांव का संपर्क कटा रहा। पिछली बार रास्ता रुक जाने से कॉलेज के 2 विद्यार्थी समय पर परीक्षा नहीं दे पाए। विगत वर्ष अगस्त माह में दो प्रसूताओं की समय पर उचित चिकित्सा नहीं मिलने से गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई। नदी के 24 घंटे उफान पर रहने से इस पार से उस पार मवेशी पालक किसान दुधारू पशुओं का दूध नहीं निकाल पाए। हजारों लीटर दूध डेयरी तक नहीं पहुंच पाया। इसके चलते किसानों को बहुत नुकसान हुआ। बागली स्कूल पढ़ने वाले बच्चों की हालत और खराब है। यहां के पढ़ने वाले बच्चे जब तक समय पर घर नहीं पहुंचते माता-पिता की जान आफत में बनी रहती है। ग्रामीण भागीरथ पटेल, पूर्व सरपंच रामचंद्र दांगी, रामप्रसाद दांगी, महेंद्र दांगी, जुगल पाटीदार, पवन पाटीदार, डॉ. संतोष चौधरी, प्रेम नारायण भगत आदि ने बताया कि नेताओं पर भरोसा करना अब हमने छोड़ दिया है। यहां पुलिया पर पानी होने के बावजूद लोग आनाजाना करते हैं। हादसे की आशंका बनी रहती है।
गांव के पूर्व जनपद सदस्य नाथूसिंह सेठ ने बताया कि ऐसी स्थिति 35 वर्ष पूर्व निर्मित हुई थी, जहां गांव में पाटीदार समाज के रामप्रसाद पाटीदार का निधन हो गया था, उनके निधन पर भी ऐसी स्थिति बनी थी। चारों तरफ पानी रहने से उनके दाह संस्कार में भी काफी परेशानी आई थी। एक निजी बाड़े में उनका दाह संस्कार किया था। इस बार ऐसी ही परेशानी का सामना करना पड़ा। शोदराबाई का शुक्रवार शाम को निधन हो गया। नदी के उस पर श्मशान होने से उनका भी निजी भूमि पर दाह संस्कार किया गया। जनपद उपाध्यक्ष रामेश्वर गुर्जर ने बताया, कि प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत बनी सभी सड़क के बीच में आने वाले पुल बन चुके हैं, लेकिन बेहरी का पुल जानबूझकर जनप्रतिनिधि बनाना नहीं चाहते। वह बार-बार वोट मांगने इसी का आश्वासन लेकर आते हैं जबकि यहां पर बागली से धावड़िया तक प्रधानमंत्री सड़क 2005 में ही बनकर तैयार हो चुकी थी, उसी के तहत यह पुल भी बड़ा बनना था। लेकिन दुर्भाग्य से यह एक बड़ी परेशानी बनने लगा है।
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