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    Skand Mata Mandir: अद्भुत है स्कंदमाता का यह प्राचीन मंदिर, दर्शन करने से ही पूरी हो जाती हैं सभी मुरादें

    ByNews Desk

    Apr 9, 2023
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    Skand Mate MandirCreative Commons licenses

    नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। बता दें कि स्कंदमाता का मंदिर वाराणसी और मध्यप्रदेश के विदिशा में मौजूद है। ऐसे में आप भी इन मंदिरों में मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद ले सकते हैं।

    चैत्र नवरात्रि के 5वें दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। माता स्कंदमाता को मोक्ष प्रदान करने वाली और समस्त इच्छाओं की पूर्ति करने वाली देवी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मृत्युलोक में शांति और सुख प्रदान करने वाली स्कंदमाता का मंदिर देश में कहां-कहां स्थित है। अगर आप इन मंदिरों के बारे में नहीं जानते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए हैं। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप के मंदिर कहां पर हैं। आप भी स्कंदमाता के इन मंदिरों में जाकर इस स्वरूप का दर्शन कर सकते हैं।

    वाराणसी

    पुरोहितों और ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक वाराणसी के जगतपुरा क्षेत्र के बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में मां दुर्गा के पांचवा स्वरूप यानि की स्कंदमाता का मंदिर स्थित है। देवी दुर्गा के इस स्वरूप का उल्लेख  काशी खंड और देवी पुराण में भी किया गया है।

    बुरी शक्तियों से करती हैं रक्षा

    पौराणिक मान्यता के अनुसार, वाराणसी में देवासुर नाम के राक्षस ने संतों और आम लोगों पर अत्याचार शुरू कर दिया। देवासुर राक्षक से लोगों की रक्षा के लिए मां स्कंदमाता ने उसका वध कर दिया था। इस घटना के बाद से मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा की जाने लगी। तभी से यहां पर स्कंदमाता विराजमान हो गईं। तब से मान्यता है कि मां दुर्गा इस स्वरूप में काशी की रक्षा करती हैं। नवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है। नवरात्रि के मौके पर सुबह साढ़े 6 बजे से रात के 9 बजे तक दर्शन होते हैं। आमदिनों में यह मंदिर दोपहर में बंद कर दिया जाता है।

    विदिशा

    मध्य प्रदेश के विदिशा में पुराने बस स्टैंड के पास सांकल कुआं के पास मां दुर्गा का विशाल मंदिर मौजूद है। इस मंदिर की साल 1998 में स्थापना की गई थी। यहां पर मां दुर्गा के स्कंद स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर के पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि 40-45 साल पहले से इस मंदिर में झांकी सजाई जाती थी। जिसके बाद कुछ भक्तों द्वारा मां स्कंदमाता मंदिर का निर्माण करवाया गया था। नवरात्रि के पंचमी के दिन यहां पर विशेष आरती की जाती है। साथ ही नवरात्रि में अखंड ज्योति जलती रहती है।

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