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Yes Milord! 7 दिन तक ED की रिमांड में सिसोदिया, वेब सीरीज में अश्लीलता पर HC सख्त, जानें इस हफ्ते कोर्ट में क्या कुछ हुआ

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आज आपको सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 06 मार्च से 10 मार्च 2023 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी गहमा-गहमी वाला है। जहां एक तरफ मनीष सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई नहीं हो सकी। वहीं ईडी की रिमांड की मांग को राउज एवेन्यू कोर्ट की तरफ से स्वीकार कर लिया गया है। वेब सीरिज में अश्लीलता पर हाई कोर्ट का रुख सख्त नजर आया है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एससीओ के सदस्य देशों के प्रधान न्यायाधीशों की बैठक की मेजबानी की जाएगी। मैरिटल रेप पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी सामने आई है। ऐसे में आज आपको सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 06 मार्च से 10 मार्च 2023 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

सिसोदिया अब ईडी की रिमांड पर

शराब नीति को लेकर सीबीआई वाले मामले में जमानत पर सुनवाई 21 मार्च को होगी। शुक्रवार को इसपर सुनवाई नहीं हो सकी। वहीं दिल्ली के आबकारी नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में कोर्ट ने ईडी को मनीष सिसोदिया की 7 दिन की रिमांड दे दी है। मनीष सिसोदिया 17 मार्च तक ईडी की रिमांड में रहेंगे। ईडी की रिमांड पर सुनवाई के दौरान  ईडी ने कहा कि अवैध कमाई की व्यवस्था बनाई गई और बड़े बड़े व्यपारियों को फायदा पहुंचाया गया। एक्सपर्ट कमेटी की राय नहीं मानी गई। शराब नीति से कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाया गया है।  5 प्रतिशत के मार्जिन को पहले 6 प्रतिशत और फिर 12 प्रतिशत किया गया व अपने लोगों को फायदा पहुंचाया गया। सिसोदिया के कहने पर नियम बदले गए। बिना लॉटरी के लाइसेंस दिए गए। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाले में मनीष सिसोदिया की सीधी भूमिका थी। जांच एजेंसी ने शुक्रवार को सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई के दौरान दिल्ली की रोज एवेन्यू कोर्ट में यह बयान दिया। 

वेब सीरीज में अश्लीलता पर हाई कोर्ट सख्त

टीवीएफ वेब सीरीज ‘कॉलेज रोमांस’ में इस्तेमाल भाषा को अश्लील अनुचित और अभद्र मानते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि इस वेब सीरीज में इस्तेमाल की गई भाषा लोगों, खासतौर पर युवाओं के दिमाग को भ्रष्ट करने वाली है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीरीज में इस्तेमाल भाषा वह नहीं है जिसे देश के युवा या आम नागरिकों द्वारा इस्तेमाल किया जाता। कोर्ट बोला, वेब सीरीज पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है, इसे भारतीय संविधान के दायरे में लाए जाने की जरूरत है। हाई कोर्ट ने माना कि वेब सीरीज में अश्लीलता है और वह पब्लिक डोमेन में बड़े पैमाने पर उपलब्ध है। इसलिए इसे सीमित करने और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(2) के दायरे में लाए जाने की जरूरत है। 

सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने पर क्रिमिनल केस नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन धोखाधड़ी के क्रिमिनल केस का कारण नहीं वन सकता। इसके लिए शुरू से ही गलत मंशा सावित किया जाना जरूरी है। वादा पूरा करने में विफलता का आरोप आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए काफी नहीं। अदालतों का इस्तेमाल वदला निकालने के लिए नहीं हो सकता। कोट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज करते हुए, यह टिप्पणी की, जिसमें भूमि वेचने से जुड़े मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ FIR रह करने से इनकार कर दिया गया था।

SCO के सदस्य देशों के प्रधान न्यायाधीशों की बैठक का करेगा मेजबानी

सुप्रीम कोर्ट 10 से 12 मार्च तक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों की शीर्ष अदालतों के मुख्य न्यायाधीशों की 18वीं बैठक की मेजबानी करेगा। इस बैठक का मकसद सदस्य राष्ट्रों के बीच न्यायिक सहयोग विकसित करना है। पाकिस्तान हालांकि एससीओ का सदस्य है लेकिन विश्वसनीय सूत्रों ने कहा कि पड़ोसी देश से बैठक में कोई प्रतिनिधिमंडल शामिल नहीं होगा। 

पत्नी 15 साल से ज्यादा की तो रेप का आरोप नहीं बनता

सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप के एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अपवाद की वजह से पति पर रेप का केस नहीं बनता है। दरअसल हाई कोर्ट ने सजा सुनाते हुए आरोपी को अपनी नावालिग पत्नी के साथ रेप का दोषी करार दिया था। इस मामले में पत्नी नावालिग थी और उसके यहां एक बच्चा भी है। सुप्रीम कोर्ट ने रेप के मामले में एक अपवाद को आधार मानते हुए अपने फैसले में आरोपी को बरी किया है। आरोपी पति ने सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।

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